Chalo mana ki wo dor bhale hi kacchi thi...
Par sach kahu toh chahatein uss waqt bhi toh hamari sacchi thi...-
PãGal PāRindã
छुप के प्यार जताया करती थी
दिल का हाल छुपाया करती थी
मीरा बन के अपनी कहानियाँ
कवितायों को सुनाया करती थी।
मग्न थी उस नटखट की लीला में
तभी तो न कोई उम्मीद रख के
बस दिल से फ़िक्र जताया करती थी।
राधा नाम अमर है मनमोहन के साथ
कथायों में राधा ही तो नटखट के साथ
रास रचाया करती थी...
राधाकृष्ण का नाम तभी तो सब गोपिया पुकारा करती थी।
पर रुकमिनि भी तो साथ मनमोहन का निभाया करती थी
फिर क्यों राधारानी ही कृष्ण के प्यार में अमर कहलाया करती थी।
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अतरंगि दुनिया के सतरंगी खेल...
कल जो ख़ास थे दिल के... उन्हें मंजूर नहीं थे हम...
जिसे अपना बनाने के ख्वाबों में डूबे रहते थे..
वो किसो ओर के सपनों में ही ...
नज़ाने क्यों खोए रहते थे।
जिनसे हमे कारीबियाँ बढ़नी थी.. वोही हमसे नज़ाने क्यों
दूरीया बड़ा रहे थे।
जिनके आने वाले कल की खूबसूरत सी मुस्कान
बनना चाहते थे.. उन्होंने क्यों हमें बिता हुआ
कल समझ के झुठला दिया...?-
कहने दो मुझको...
वो बातें जो दिल में नज़ाने
कबसे दबाए बैठें हैं।
कहने दो मुझको..
वो दो अल्फाज़, जिसे तुम्हें
अपना बनाने की चाहत
लगाए बैठें हैं।
एक उम्र से सिने में
दफ़्न, आशिकी की आग
लगाएँ बैठें हैं।
आँखों में चाहत के तरंगें लिए
ज़ुबाँ पे ख़ामोशी का ताला
लगाए बैठें हैं।
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दिल में रखें उस रांख रूपि पहाड को..
ज़रा सा तो हिला
आंखों से बेहती उस जांम को ज़रा
हमे भी तो पिला
तेरी रग-रग में बसे उस कलंक-रूपी
दिलदार से हमें भी तो मिला-
पहचान अपनो सा दे गया
वो मुसाफिर था मगर
राही बन के आंखों में सपनों सा दे गया
मुलाकात एक पल की थी..
लेकिन सबक बरसो का दे गया
अजनबी तो था मगर
यहसन लाखौं का कर गया..।-
तेरा इश्क़ मुझमे साँस ले रहा था
तुझको हुई न ख़बर..
एक ऐहसंश से दो दिल जुड़ रहा था
हुई न क्यों तुझको ख़बर..
..मार मार के भी.. बेताब रहा था
आने को तेरे शहर...
..लफ्ज़ यू ही रुके रुके से थे..
ख़ामोशी मे दबी थी..
ऐहसंसो की वो लेहेर..
..पाने को तेरी वो एक हंसी..
अपना लिए हम ज़हर..
..तेरा रूप मुझमे अमल हो रहा था..
तुझको हुई न ख़बर..-
Lihaaz toh rakha tha humne..
Jubaan se nikle har ek sabd ka,
Haan..lihaaz toh rakha tha humne..
Dil se nikle har awaz-e-zakham ka,
Haan lihaz toh rakha tha humne..
Aankhon se nikle har ek boond ka,
Bas lihaaz na rakh pae uss pal ka..
Jis pal tum apna lihaz bhul bhethe...!!
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