ज़िन्दगी के इशारे....
माना कि ज़िन्दगी आसान नहीं,
वो हर मोड़ पर हमें इशारे करती रही,
वो जैसी सोची थी वैसी नहीं,
फिर भी आँखों पर पट्टी बांध चलते रहे,
ज़िन्दगी हमें अपने इशारो पे नचाते रही...
ज़िन्दगी जैसे समय की रेत फ़िसलती हुई,
हाथोंकी उंगलियोंसे निकलती गई,
हम रेत पर ख्वाबोंके महल बनाते गए,
उस रेत पर कदमोंके निशान छोड़ते गए,
ज़िन्दगी हमें अपने इशारो पे नचाते रही...
मुड मुड कर राह देखते थक भी गए,
एक लहर आएगी और सारे निशान मिट जायेगे,
सब कुछ अपने साथ बहाकर ले जाएगी,
ना रोक पाया कोई उसे और ना मैं रुकुंगी,
ज़िन्दगी हमें अपने इशारो पे नचाते रही...
इस छोटीसी ज़िन्दगी अंधेरोमें फंसी हुई,
समय निकल रहा पर रुकना मन है,
मुट्ठीसे फिसलती रेतसे गुज़रती गई ये ज़िन्दगी,
समय की रेत की तरह फिसलती गई ये ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी हमें अपने इशारो पे नचाते रही...
-©💕*✒मीनी की कलमसे*💕
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