अक्सर इंसान के
मुखोटे खोल देते है
बाहर जो अभिनय करके
तारीफें लूटते है
वो बंद दरवाजे के पीछे
उतने ही नफरतों के काबिल होते है-
सोचने का अंदाज बदल जाये
बदले अंदाज इस तरह कि
लिखने से पढ़ने वाले ... read more
तुम्हारे आने की आहट
दिल में सिरहन पैदा कर रही है
कैसी होगी तुम्हारे साथ
पहली कॉफी बस वही बयां कर रही है-
कुछ फूल मुरझा गये तो
कुछ जमीं पर झड़ गये
और कुछ अपने धड़ से कटकर
गुलदस्ते की शोभा बन गये
हकीकत में वो
दूसरों को कुछ पल का सुकून देकर
अपना वजूद खो गये..-
गाने जस्बातों की जुबान बन गये
जो कोई न समझ पाये वो मन का गीत बन गये-
जितने दिन पुराने डायरी के पन्नें होते है
उसमें उतने ही राज गहरे होते है...-
बनना है तो तुम
फूलों की तरह बन
वो चढ़े हरि चरणों में
तब भी महकें
और जब चढ़े अर्थी पर
तब भी महकें
ऐसे ही सुख हो या दुख
तुम्हारे जीवन में
उसमें तुम भी हंसना सीखो
-
ऐसी है कि जब इसमें प्रवेश करते है
तो फिर या तो कभी खुद को पाते है
या कभी खुद को खो देते है..
रचनायें ऐसी होती है कि
या तो निखर कर शिखर पर जाते है
या गर्त की गहराईयों में डूब जाते है-
जहां जस्बातों से
भरे पन्ने पढ़े जाते है
कुछ खोने के ,
कुछ पाने के
किस्सें लिखे जाते है
आसान नहीं होता
हर एक पन्ना पलटना
इसमें न जाने
कितने अरमान गढ़े जाते है
-
तुम जिसे अहम बोलकर
कमियां बता रहे हो..
वो मेरी नजर में खुद में तलाशा हुआ
मेरा आत्म स्वाभिमान है-
सुईयों की टिक-टिक
बड़ी बेसकीमती होती है
ये जब-जब बदलती है तो
अच्छे वक्त को बुरे में व
बुरे वक्त को अच्छे में बदल देती है
इतराना नहीं कभी अपने समय पर
ये पल भर में सब धूमिल कर देती है-