Manisha Pathak   (manisha✍🤗)
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Joined 16 December 2018


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10 JAN 2022 AT 20:21

अक्सर इंसान के
मुखोटे खोल देते है
बाहर जो अभिनय करके
तारीफें लूटते है
वो बंद दरवाजे के पीछे
उतने ही नफरतों के काबिल होते है

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10 JAN 2022 AT 9:26

तुम्हारे आने की आहट
दिल में सिरहन पैदा कर रही है

कैसी होगी तुम्हारे साथ
पहली कॉफी बस वही बयां कर रही है

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9 JAN 2022 AT 23:53

कुछ फूल मुरझा गये तो
कुछ जमीं पर झड़ गये

और कुछ अपने धड़ से कटकर
गुलदस्ते की शोभा बन गये

हकीकत में वो
दूसरों को कुछ पल का सुकून देकर
अपना वजूद खो गये..

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8 JAN 2022 AT 15:48

गाने जस्बातों की जुबान बन गये
जो कोई न समझ पाये वो मन का गीत बन गये

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10 JAN 2022 AT 20:24

जितने दिन पुराने डायरी के पन्नें होते है
उसमें उतने ही राज गहरे होते है...

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10 JAN 2022 AT 20:15

बनना है तो तुम
फूलों की तरह बन
वो चढ़े हरि चरणों में
तब भी महकें
और जब चढ़े अर्थी पर
तब भी महकें
ऐसे ही सुख हो या दुख
तुम्हारे जीवन में
उसमें तुम भी हंसना सीखो

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10 JAN 2022 AT 16:16

ऐसी है कि जब इसमें प्रवेश करते है
तो फिर या तो कभी खुद को पाते है
या कभी खुद को खो देते है..

रचनायें ऐसी होती है कि
या तो निखर कर शिखर पर जाते है
या गर्त की गहराईयों में डूब जाते है

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8 JAN 2022 AT 8:45

जहां जस्बातों से
भरे पन्ने पढ़े जाते है
कुछ खोने के ,
कुछ पाने के
किस्सें लिखे जाते है
आसान नहीं होता
हर एक पन्ना पलटना
इसमें न जाने
कितने अरमान गढ़े जाते है

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6 JAN 2022 AT 23:47

तुम जिसे अहम बोलकर
कमियां बता रहे हो..

वो मेरी नजर में खुद में तलाशा हुआ
मेरा आत्म स्वाभिमान है

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6 JAN 2022 AT 23:43

सुईयों की टिक-टिक
बड़ी बेसकीमती होती है
ये जब-जब बदलती है तो
अच्छे वक्त को बुरे में व
बुरे वक्त को अच्छे में बदल देती है
इतराना नहीं कभी अपने समय पर
ये पल भर में सब धूमिल कर देती है

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