ये सफर भी मेरा!
ये मंज़िल भी मेरी !
फिर क्यों किसी का साथ है जरूरी?-
मेरे एहसासो की अभिव्यक्ति ।
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कौन कहता है की लड़को पर
जिम्मेदारी नहीं होती है,
बस फर्क इतना है की उन्हें जताना नहीं आता
अपने दुखों को,
चिंता उन्हें भी होती है घर की, और उन माता-पिता की जिनके आंखों की रोशनी की किरण है वो बेटा , जिसके कंधो पर बोझ है जिम्मेदारियों का, पर फिर भी वो जताता नहीं , घबराता नहीं घर की जिम्मेदारियों से , दर्द उन्हें भी होता है रोना उन्हें भी आता है , बस उन्हें जताना नहीं आता।
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सूरज की किरण की चमक हर मां की आंखों की उम्मीद की रोशनी होती है जो कभी टूटती नहीं।
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अब जा ही रहे हो, तो मेरी एक बात सुनते जाओ 2020
दोबारा कभी लौटकर मत आना यहां।
GOOD BYE 2020😀
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बदलाव तो इस कदर हुआ कि अब जुबां की बजाय आंखें दर्द बयां करती है।
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लोग कहते कि लिखना काम है कवियों का।पर लिखने का शोक थोड़ा हमें भी है, वक्त बेवक्त हम भी शब्दों को कागज़ पर उतार लेते हैं अगर तो क्या बुराई अगर हम भी अपना दिल हल्का कर लेते हैं, क्या बुराई अगर?
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जिंदगी भी कितने इम्तिहान ले रही है मेरे सब्र का,
अब तो मानो सब्र का बांध टूट रहा हो जैसे ,और टूट रही है उम्मीदे भी, ऐ जिन्दगी अब बस कर थक गई हूं मैं भी।
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ऐ जिंदगी ये सफर बहुत लम्बा है रुकना नही तुझे यूही चलते जाना है थकना नहीं तुझे ये सफर तय करते जाना है एक दिन कामयाबी को तुम्हारे कदमों मे आना है बस इसी सोच के साथ आगे बढ़ते जाना है।
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