दरवाजे पर भूख से व्याकुल गौमाता जब नन्ही हथेलियों को चाटते हुए बची हुई रोटी छीन लेती थी,तब परमार्थ की उच्च भावना हमारे ह्रदय में फूटती थी. वह माँ के संस्कार की सुवास आज भी सनातन परम्परा प्रति हमें नतमस्तक करती रहती है.
महज़ दिखावा घातक होता है झूठ और सत्य मध्य घमासान होता है जबतक आकार अधूरा है श्रेष्ठ प्रयास जरुरी है वक्त आने पर ही प्रस्वेद सतह पर चमक बिखेरता है महज दिखावा घातक होता है.
हमें बहलाती है सूनी,निःशब्द निशा की शांत स्निग्ध छटा हमें सहलाती है. हमारा सोया इश्क जगाकर वह अपने चाँद की बाहों में चली जाती है. हमें ख्वाबो की रंगीन दुनिया में तड़पता छोड़ जाती है.
सिर्फ तीन लफ्ज़ में हो जरुरी तो नहीं. दिल की दीवानगी कहती है मौन की भी एक भाषा होती है भाव का भी गहरा प्रभाव होता है प्यार का इज़हार लफ्जों में कम अरमानो के बहते प्रमाण में अधिक होता है.
न तेरे नैनो में कोई चमक न तेरे कदमो में मोर नर्तन न तेरे अधर में उन्माद की थिरकन न तुझमें दिखे कोई गुलाबी हलचल ब्रह्मांड से बहती शास्त्रीय सरगम पूछ रही है तुम्हारे दिल की धड़कनो के गहन मौन से.. क्यूँ नहीं गूंज रहै है तुम्हारी ह्रदय वीणा के सुने तार? प्यार बिना सब सूना.
एकदिन टकराव हो गया पल से फूटा परम प्रकाश दो दिलों में जल रहे दीपक की बाती में प्राण अर्पित करता गया. दो दीपक से उठी एक लौ निराकार संग एकाकार होकर समाधि में,स्थिरता पाकर स्वयंसिद्ध हो गई.
ज़ब एक सयाना आशिक दीवाना बनकर झूमता है दिलवालों की दुनिया में वो मशहूर हो जाता है. मिटा देता है खुद की हस्ती महबूब की छाया में वो और इश्क की इबादत में लीन हो जाता है.
शब्द ब्रह्म है हमारी अभिव्यक्ति का आधार है नाजुक रिश्तों को जुड़ती महक है प्रगट होता है ज़ब अपने ज्ञान अंश सह तब संवर जाता यह मनुष्य जीवन है. प्रगट होता है ज़ब कटु प्रवाह सह तब विध्वंस लीला प्रमाण देता है. शब्द का सुसंस्कृत ध्वनि सर्वत्र स्वीकार्य है मधुरता से लिप्त हर शब्द जीवन का जयघोष है.