चाँद सितारों कि महफिल में,
वो अपना सत्य प्रस्तुत करती नजर आएगी-
सको तो अर्थ हूँ, ना समझो तो व्यर्थ हूँ
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अंधकार के अधिकार को हानि की
जुगनू जग रहे थे
उनके लघु प्रयास की सराहना की
हमने रौशनी से बात की
ब्रह्माण्ड देख रहा था
हमारी चेतना की उर्द्धव गति सराह रहा था
जूम रहे सितारों के सुरीले काँरवे को
रौशनी में मिला रहा था
सब कुछ अद्भुत था
अकल्पनीय था
आध्यात्म से प्रेरित था
प्राण प्रकाशित हो रहा था
जीव दिव्य पथ पे चल पड़ा था.
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अगर रिश्तो में हो, रौशनी खा जाती है
अगर दिलो में हो, दुनिया उजाड़ देती है
अगर खुद से हो, मंजिल भटक जाती है.-
संसार एक मेला है.
लोगो का आना जाना लगा रहता है
उनकी आभा से, हमें आकर्षण हो जाता है
भीतर घूमते हुए,सत्य रूबरू हो जाता है
स्मित और सौंदर्य,जीव कि यात्रामें साथ चलते है
मेला हमें सत्य से आगे स्वयं कि जाँखी करवाता है.
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*Expresses secret feelings through art.
*While listening to the voice of his thoughts,
he ignores other voices.
*Flies in the sky, can hardly connect with the earth.-
बीत रहे लम्हो कि कसक ने कह दिया है
सुर्ख हो रहे अश्रु कि अगन ने कह दिया है
दिल में फ़ैल रहे अंधकार ने कह दिया है
आखिर तक टिकी हुई आश ने कह दिया है
इश्क ने तड़पकर कुबूल कर लिया है
बेखबर है वो मुझसे.
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इश्क इजहार करता है कोई बगावत नहीं है
तेरी रूह से दोस्ताना है कोई अदावत नहीं है
रब की मर्जी है, कोई सवालात नहीं है
गैरों की मत सुनो,उसे सच की मालूमात नहीं है.
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ये दुनिया बड़ी ज़ालिम है
करीब आकर, करीने से खंजर खोपती है
विश्वास कि परिभाषा से छेड़छाड़ करती है
वजूद कि जड़ो में विस्फोट करती है
कोमल अहसासों कि कत्लेआम करती है
सिर्फ स्वार्थ कि भाषा समझती है
सत्य मार्ग पे कांटे बिछाती है
खुशियों का खजाना बिनधास्त लूँट लेती है
अकेले अश्रु पिने मजबूर करती है
सफलता से जलती है,पराजय का जश्न मनाती है
में आध्यात्मिक राह पे शांति में रम जाऊ
ये बात भी उसे खटकती है.
इतना कर गुजरने के बाद भी वो विनम्रता चाहती है
मेरे आत्मा कि अमरता इंकार नहीं कर सकती है
उनके प्रस्ताव का आदर करती है.-