होली के रंगों में रंगे, नर नारी ग्वाल बाल
खुशियों के रंग उड़े आज देखो फाग में
मन मैं उमंग लिए , तन में तरंग लिए
झूम रहे नाच रहे कैसे अनुराग में
राधा की बिंदिया भीगी कान्हाजी का मोर पंख
नेह मे है भीगे दोनों रंगे एक राग में
देवता भी गगन से सुमन बरसाते हैं
ये कैसा सम्मोहन है ,प्रेम के पराग में
मनीषा जोशी मणि
-