Manisha Joshi   (Manisha joshi mani)
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Writer and poetess
Joined 25 June 2017


Writer and poetess
Joined 25 June 2017
10 HOURS AGO

खुद में तुमको ढूंढना और सोचना तुम सा.
जब से हुनर ये आया, खुद को चाहने लगी हूं
मनीषा जोशी मनी

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10 HOURS AGO

बारिशें और तुम्हारी यादें .
वादें की पक्की हैं
हर साल साथ आती हैं..

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8 SEP AT 16:36

मोम सी पिघल रही हूं ,ढल रही हूं इश्क में .
करवटें लो दर्द की बदल रही हूं इश्क में .
राब्ता ग़लत है आपसे तो बोल दीजिए
बेवजह में रोज-रोज जल रही हूं इश्क में ..
मनीषा जोशी मणि

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26 AUG AT 17:53

तिरी आँखों पे मरना आ गया है.
मुझे अब इश्क़ करना आ गया है.
नहीं है कम तेरी लत इक,नशे से
नशे का कश ये भरना आ गया है
मनीषा जोशी मनी

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25 AUG AT 11:18

परिंदा दर्द में होता है, तो वो कह नहीं पाता..
अगर रिश्तों मे बेड़ी हो तो,इंसा रह नहीं पाता..
बदल जाती है अक्सर ही यहा पर जिंदगी सबकी.
बँधा बोझों से जो पत्ता लहर में बह नही पाता .
मनीषा जोशी





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21 AUG AT 21:26

तेरी बातों में सुक़ू,तेरी आँखों मे वफ़ा
मैं किधर जाऊं मेरी जान ,तिरे दर के सिवा.
दिल तेरी ओर खिंचा,जाता है क्यों ये मेरा
मेरी धड़कन ने पुकारा है तेरा नाम सदा

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21 AUG AT 11:32

जीने के लिए सांसें ,ज़रूरी है ,ये माना.
सासों के लिए ,तू ,तेरी बातें भी ज़रूरी..
मनीषा जोशी

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21 AUG AT 11:19

तेरे सजदे मे झुका रहता है,ये सर मेरा
तू मसीहा तो नहीं,उससे कम भी तो नहीं
मनीषा जोशी

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7 AUG AT 12:32

बहता पानी
कितना अंजान है
मची तबाही.

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2 AUG AT 9:37

ये जो परेशानियां हैं ना ,ये ख़त्म होती ही नहीं
रोज़ खो जाती हैं चीजें मुझसे ,पर ये खोती भी नहीं .
मनीषा जोशी

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