manisha gaur   (Manisha)
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Joined 10 April 2018


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Joined 10 April 2018
14 JUN 2021 AT 0:48

इश्क़ की मासूमियत तो देखो
निगाहों से ही इजहार कर देता है
महबूब की आँखों से आँखें चार कर लेता है।

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12 JUN 2021 AT 23:40

दिल ने दस्तक दी अपने अश्कों से,
इश्क़ ने कहा अपनी पलकों पर बिठा कर रखूँगा इन्हें।

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11 JUN 2021 AT 23:41

दिल के इस हिजाब को फिसलने तो दो
ज़रा हम भी इश्क का नूर तो देखें

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11 JUN 2021 AT 22:53

नाराजगी उस शख्स से जो आपके लिये दुआ मांगते हैं,
जरा उनके दिल में झांक के देखो सिर्फ आपका प्यार मांगते हैं।

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9 JUN 2021 AT 23:08

न दर्द चाहिए न दुआ चाहिए
ऐ सनम, मुझे तो सिर्फ तेरी वफा चाहिए

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4 JUN 2021 AT 11:23

They say there is a poet in everyone but I say it is love which makes everyone a poet.

Manisha Gaur

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23 MAY 2021 AT 16:42

हो चुका खत्म हर वो सितम,
जंहा अश्क थे और तन्हाई थी
अब तो हर अबसार में मोहब्बत का आलम है।

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13 MAY 2021 AT 23:44

ये इश्क जो वफा चाहता है,
दिल के लिए ही दुआ मांगता है।
कैफ़ियत हमदम की जानने पर,
फिर उन पर फना हो जाता है।
हाय ये इश्क...

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11 APR 2021 AT 23:41

मोहब्बत रंगरेज़ है वक्त के साथ इश्क के रंग को और गहरा कर देता है

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22 MAR 2021 AT 1:00

चांंद नहीं छुपता चांद की चांदनी छुपति है।
बादलों के पीछे से आंख मिचौली खेलती है,
कभी चलती है, कभी बलखाती है, हवाओं के बीच में से अपनी रोशनी छलकाती है।
कभी झीनी आंचल से अपना अक्स दिखाती है।
कभी इठलाती, कभी मुस्काती, अपने आंचल को हवाओं में लहराने लगती है।
चांदनी अपनी प्रीत में खो जाती है, और छिप जाती है कहीं, फिर इंतजार में उस भोर की किरणों के
जो शाम तक उसे रूमानियत से भर देंगी और
रात होते-होते फिर चांदनी को चंचल बना देंगी।
चांद नहीं छुपता चांद की चांदनी छुप जाती है।

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