14 JAN 2020 AT 5:41

एक गाड़ी के दो पहिए हम,
संग-संग चलते हैं हरदम,
जीवन रथ हो चाहे भारी,
तुम संग लगे ज्यों हो सरगम।।
जब मैं रुकूँगी,
तुम भी थम जाना,
जब तुम दौड़ोगे,
कहना मुझसे, तुम संग आना।।

काँटे भी जो आए राह में,
पुष्प सम महकेंगे हम,
पतझड़ से न तुम घबराना,
बहार में महकेगा जीवन मधुबन।।
जीवन पथ पर साथी बनकर,
यूँ ही संग-संग चलते रहना,
हर सुबह संग-संग उगकर,
और सांझ बन संग ढलते रहना।।

- मन-ईशा की कलम से...