Manisha .   (Kalkgi)
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Fressia♥️
Joined 12 November 2019


Fressia♥️
Joined 12 November 2019
26 DEC 2021 AT 17:26

उसकी आंखों में दिख रहा है
अब मेरी बातों में नहीं आएगा,
उसको खोने का डर और दर्द
इसका खयाल सताने लगता है।
उसका ऑनलाइन होना
मुझे जगाए रखता है ।।

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28 NOV 2021 AT 21:10


तुम क्या मुझे दर्द-ए-दास्तान सुनाओगे जनाब,
मैंने मेरे इश्क़ को रोते देखा है
वो भी किसी और के लिए।

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20 OCT 2021 AT 21:34

चांद को जमीं पर आते देखा है
मैंने मेरी जां को मुस्कुराते देखा है,
बिखर जाती हूं मैं बात बात पर
मैंने उसको मुझे समझाते देखा है,
रख नहीं सकती दिल खोल कर अपना
मोहब्बत अच्छी नहीं उसे बताते देखा है।

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8 SEP 2021 AT 21:31

मोहब्बत है, ना जाने क्या क्या कहलाऊंगी
तू अफगानिस्तान होगा, तो मैं तालिबान भी बन जाऊंगी।

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18 MAR 2021 AT 13:46

कुछ दाग दामन पर हैं ऐसे भी
जो न सफेद रंग से बेनकाब हो पाए
और ना इनके धब्बे दामन छोड़ पाए
कुछ साज़िश सितारों की भी थी
लेकिन कुछ खताएं ख्वाहिशों की
लाख धोती हूं इनको नज़रों से बचकर
पर आईना रोज सब दाग दिखा जाता है

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5 JAN 2021 AT 19:53

अनजाना सा ये एहसास खास यूं हुआ कि
खुद से तुम्हारी बातें करने लगी हूं
इश्क़ आंखो में छुपा कर अपनी
मै नज़रें तुमसे चुराने लगी हूं ।

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26 SEP 2020 AT 23:45

किसी की शायरी के अल्फ़ाज़ हो?
यकीनन तुम बेहद ख़ास हो...

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23 SEP 2020 AT 17:31

उसकी उलझी उंगलियों के साथ...
ज़िंदगी सुलझी हुई थी मेरी।

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17 SEP 2020 AT 13:30

कल रात मैंने ख़्वाब में ख़ुद को
दुनिया के एक अलग आयाम में देखा
जहां मैं आज़ाद हूं
और हवाओं का सीना चीरती हुई
ख़ुद को छूने लगती हूं
तारों को छूती हूं
चांद को छूती हूं
कभी चांद के पीछे जा छुपती हूं
कभी चांद मेरे पीछे
मैं समंदर और दरियाओं के पानी पर चलती हूं
और पहाड़ों से बलखाती हुई गुज़र जाती हूं
मैंने देखा है
समंदर का पानी मुझे छूने के खातिर
बारिश बनकर बरसने लगता है
मेरी एक मुस्कुराहट से कलियां खिल जाती हैं
वो ख़्वाब एक हसीन मंज़र है
मेरी खुशियों और ख्वाहिशों दोनों का


-Kalkgi




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3 SEP 2020 AT 18:47

कुछ ख्वाहिश अधूरी रह जायेंगी मेरी
चाह के भी मैं तुम्हें बता नहीं सकती
पर महज़ इस बात को अब और अरसा
मैं दिल में भी नहीं रख सकती
आज लिख देना चाहती हूं चाहतें मेरी
तुमसे इन चाहतों का जिक्र मुनासिब नहीं
इसीलिए इन चाहतों को पन्ने पर पिरोना चाहती हूं
बात कहने के लिए तो छोटी सी ही है
पर मेरी खुशियों के लिए काफ़ी है
अजीब सा एहसास है जो मुझे मजबूर करता है
तुम्हें सोचने तुम्हारी फ़िक्र करने के लिए
झूठे ही सही पर हां सपने देखने लगी हूं
मैं कहती नहीं कुछ भी किसी से
पर शायद तुमसे इश्क़ करने लगी हूं

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