चांद को जमीं पर आते देखा है मैंने मेरी जां को मुस्कुराते देखा है, बिखर जाती हूं मैं बात बात पर मैंने उसको मुझे समझाते देखा है, रख नहीं सकती दिल खोल कर अपना मोहब्बत अच्छी नहीं उसे बताते देखा है।
कुछ दाग दामन पर हैं ऐसे भी जो न सफेद रंग से बेनकाब हो पाए और ना इनके धब्बे दामन छोड़ पाए कुछ साज़िश सितारों की भी थी लेकिन कुछ खताएं ख्वाहिशों की लाख धोती हूं इनको नज़रों से बचकर पर आईना रोज सब दाग दिखा जाता है
कल रात मैंने ख़्वाब में ख़ुद को दुनिया के एक अलग आयाम में देखा जहां मैं आज़ाद हूं और हवाओं का सीना चीरती हुई ख़ुद को छूने लगती हूं तारों को छूती हूं चांद को छूती हूं कभी चांद के पीछे जा छुपती हूं कभी चांद मेरे पीछे मैं समंदर और दरियाओं के पानी पर चलती हूं और पहाड़ों से बलखाती हुई गुज़र जाती हूं मैंने देखा है समंदर का पानी मुझे छूने के खातिर बारिश बनकर बरसने लगता है मेरी एक मुस्कुराहट से कलियां खिल जाती हैं वो ख़्वाब एक हसीन मंज़र है मेरी खुशियों और ख्वाहिशों दोनों का
कुछ ख्वाहिश अधूरी रह जायेंगी मेरी चाह के भी मैं तुम्हें बता नहीं सकती पर महज़ इस बात को अब और अरसा मैं दिल में भी नहीं रख सकती आज लिख देना चाहती हूं चाहतें मेरी तुमसे इन चाहतों का जिक्र मुनासिब नहीं इसीलिए इन चाहतों को पन्ने पर पिरोना चाहती हूं बात कहने के लिए तो छोटी सी ही है पर मेरी खुशियों के लिए काफ़ी है अजीब सा एहसास है जो मुझे मजबूर करता है तुम्हें सोचने तुम्हारी फ़िक्र करने के लिए झूठे ही सही पर हां सपने देखने लगी हूं मैं कहती नहीं कुछ भी किसी से पर शायद तुमसे इश्क़ करने लगी हूं