MANISHA AGGRAWAL   (मनु)
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Joined 28 July 2020


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Joined 28 July 2020
12 NOV 2023 AT 9:40

दीपों की सज गई है थाली
रात आ रही तारों वाली
चहुं दिशाओं में है छाई
नई रौशनी नई दिवाली

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19 AUG 2022 AT 18:41

तेरे आने का जो
उदघोष हुआ,
संतप्त हृदयों में
संतोष हुआ,
तू खिला पुष्प सा
निर्जन में,
मुख पर कंसों के
रोष हुआ।

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8 APR 2022 AT 23:26

जिसको भी तू चाहे उसमें प्रेम जगा दे
तेरे हो जाते हैं वो जो मन में तुझे बसा दें
रहमत जो तेरी हो 'कान्हा' टूटे फिर जुड़ जाएं
तेरी धुन में बस खो जाऊं वो बंसी मुझे बना दे

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4 APR 2022 AT 23:40

देने वाला भी तू
लेने वाला भी तू
तेरे कदमों में जहां मेरा
है मुझमें बस तू ही तू

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2 APR 2022 AT 23:59

तुम्हें चाहते हैं 'इबादत' की तरह
तुम ही हो 'मुकद्दर' तुम ही हो ख़ुदा

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30 MAR 2022 AT 23:45

तू जो फिर सामने आया
नैनों को मेरे सुकून आया
तेरी झलक से रौशन दिन हुए
रातों में भी फिर नूर आया...

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28 MAR 2022 AT 23:39

तमन्ना है तुझे पाने की
तेरी धुन में बस खो जाने की
मैं बनकर 'जोगन' रहूं तेरी
कुछ और नहीं अब चाह मेरी

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26 MAR 2022 AT 23:40

तुमसे मिलकर 'कान्हा', हम खुद से भी मिल जाते हैं
खो बैठें जब भी खुद को, नैनों में तेरे पा जाते हैं..

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24 MAR 2022 AT 23:37

कजरारे कारे नैन तेरे
कारी सूरत मतवारी है
'बंसी-धुन' तेरी सुनकर के
सुध-बुध बिसराई सारी है

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22 MAR 2022 AT 23:43

यूं तो सारे जग से मैं जीत जाता हूं 'राधे'
पर हार जाना तुमसे मन को मेरे भाता है...

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