Manish Upadhyay   (Manish Upadhyay)
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Joined 30 November 2017


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Joined 30 November 2017
8 MAY 2022 AT 0:18

हर माँ यही कहती है चिंता मत करना
जबकि चिंता हर एक माँ का मूल स्वभाव है

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14 DEC 2017 AT 8:33

आजकल लोग ईश्वर, अल्लाह की चर्चा करने में काफी लगे हुए हैं,

लगता है चुनाव आने मे भी अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं,

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20 NOV 2020 AT 16:09

हमारे अंदर जब शोर हो रहा होता है
तब बाहर सन्नाटा रहता है
और जब बाहर शोर मचा हो
तब अंदर मानो शून्य सा होता है

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19 NOV 2020 AT 12:51

ही अपने आप मे पुरुषार्थ है
अपने सपनो को जो नज़रंदाज़ कर दे
अपनो के सुकूँन और सपनों के लिए

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2 NOV 2020 AT 9:55

अपना किरदार कुछ इस तरह भुना रहे हैं
लोग बैनर पे खुद की तस्वीर बड़ी
और महोदय की छोटी लगा रहे हैं

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1 NOV 2020 AT 13:35

गुलाब से गुजर कर हवा ने खुद को खुशबूदार कर दिया,
ऐ दोस्त
तूने इस भटके हुए मुसाफिर को राह दिखाकर मंज़िल का हक़दार कर दिया

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1 NOV 2020 AT 9:19

Exit of the summer,
And we enter towards the winter,
Where the night becomes longer than day
And the surrounding convert with the foggy sight,
Where the all green field covered with dew in every leaf,
To see the sun you have to wait for noon,
When the trees are loaded with all new flowers
When the rain comes as a guest or occasional,
Somewhere by change of season
It leave a message of moving from old to new.

Let's unscramble the things with fresh start which is already been scrambled
Keep calm and welcome november

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29 OCT 2020 AT 12:10

अपने शहर के अलावा रखना पड़ता है ताल्लुकात किसी अंजान शहर से भी,
पंछी का घरौंदा हमेशा एक जगह पर नहीं होता

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28 OCT 2020 AT 12:01

Fallen stars,
Empty dreams,
Closed path,
Growing shits,

Longer the destiny,
Hurdles all the way,
Tearful eyes,
With all grey,

Everywhere there is dark
And everyone reacts with fray

But still
If you end up with smile in your face
The nature takes out from you
something really great in a ultimate way.

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5 AUG 2020 AT 1:28

तन अयोध्या मन अयोध्या जीवन अयोध्या हो
पृथ्वी के कण-कण मे भी हर क्षण अयोध्या हो,

ज्ञान हो, सम्मान हो विश्वास की प्रतिज्ञा हो
इंसान के व्यवहार में राम की अयोध्या हो,

भाईचारे की भावना से इस राष्ट्र की शान हो
मैं जब भी भटकूँ जीवन मे एक राह दिखाती अयोध्या हो,

अखंड और अटूट प्रेम भाव की हर मन मे इक्षा हो
एकता के प्रभाव से मेरा हर प्रण अयोध्या हो,

राम सी सरलता दिखे, धैर्य, मर्यादा स्वेच्छा हो
हर शरीर मे जगह लेती राम के चरित्र सी अयोध्या हो

कोई हार और न जीत हो कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो
श्री राम के गुणों को सिखाता हर वातावरण अयोध्या हो

सत्य और न्याय के पथ का मानव बखान करता हो
मानवता के गुण से भरा हर व्यवहार अयोध्या हो

श्री राम आगमन के महौल सी हर पल जीती दुनिया हो
मेरी दुनिया तेरी दुनिया ब्रह्मांड अयोध्या हो।।

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