इक नग़मे से बात छिड़ी,
दूजे से फिर जाम उठा।
तीज़े पर हिचकी आई,
चौथे तक मैं, मैं न रहा।।
-
Manish Singh Bhadauria
(Dr. Manish singh Bhadauria)
54 Followers · 17 Following
Dr. Manish singh bhadauria , is a bilingual poet, short story writer, teacher and research... read more
Joined 12 November 2017
9 MAY 2022 AT 22:49
27 APR 2022 AT 12:29
वर्षो का इंतज़ार लम्हो में सिमट आया।
मेरे दरवाज़े पर उसने दस्तक दी है।।-
26 APR 2022 AT 23:57
सच चुभता है आँखों मे बेतहाशा ।
अंधेरो की आदी हो गई है पुतलियां।।
-
20 APR 2022 AT 17:30
आज मुद्दतो बाद खुद से यू मिलना हुआ
में गुज़रा और उनका निकलना हुआ।
-
13 SEP 2019 AT 9:12
दूसरा पहिया-4
तुम रोज़ अपनी सख़्त हथेलियों
पे मरहम लगाते रहे।
मेरी छाती पे पड़े छालों की परवाह किसे थी ।।-
14 NOV 2021 AT 11:45
अब नक्शा लेकर कैसे ढूंढू
वो जा बैठा है मेरे अंदर
तालियों की बौछार करो तुम
अब आग लगी है मेरे भीतर
-
10 NOV 2021 AT 20:48
फ़ैसला जो उसे भूलने का किया।
वो मुसलसल मुझे याद आती रही।।
-
9 NOV 2021 AT 12:39
सब चोटें गहरी और घाव पुराने
तस्वीर मिली है उसके सिरहाने-
9 NOV 2021 AT 11:43
चाल पुरानी लेकिन है शातिर।
तुम रूठ जाना मनाने की खातिर।।
-
8 NOV 2021 AT 10:00
नाक, नयन, होंठ, नदारद है सब।
बस झुर्रिया है मेरे चेहरे पर ।।-