Manish Singh Bhadauria   (Dr. Manish singh Bhadauria)
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Joined 12 November 2017


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Joined 12 November 2017
9 MAY 2022 AT 22:49

इक नग़मे से बात छिड़ी,
दूजे से फिर जाम उठा।
तीज़े पर हिचकी आई,
चौथे तक मैं, मैं न रहा।।




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27 APR 2022 AT 12:29

वर्षो का इंतज़ार लम्हो में सिमट आया।
मेरे दरवाज़े पर उसने दस्तक दी है।।

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26 APR 2022 AT 23:57

सच चुभता है आँखों मे बेतहाशा ।
अंधेरो की आदी हो गई है पुतलियां।।



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20 APR 2022 AT 17:30

आज मुद्दतो बाद खुद से यू मिलना हुआ
में गुज़रा और उनका निकलना हुआ।


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13 SEP 2019 AT 9:12

दूसरा पहिया-4

तुम रोज़ अपनी सख़्त हथेलियों
पे मरहम लगाते रहे।
मेरी छाती पे पड़े छालों की परवाह किसे थी ।।

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14 NOV 2021 AT 11:45

अब नक्शा लेकर कैसे ढूंढू
वो जा बैठा है मेरे अंदर

तालियों की बौछार करो तुम
अब आग लगी है मेरे भीतर

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10 NOV 2021 AT 20:48

फ़ैसला जो उसे भूलने का किया।
वो मुसलसल मुझे याद आती रही।।


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9 NOV 2021 AT 12:39

सब चोटें गहरी और घाव पुराने
तस्वीर मिली है उसके सिरहाने

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9 NOV 2021 AT 11:43

चाल पुरानी लेकिन है शातिर।
तुम रूठ जाना मनाने की खातिर।।



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8 NOV 2021 AT 10:00

नाक, नयन, होंठ, नदारद है सब।
बस झुर्रिया है मेरे चेहरे पर ।।

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