नसीबों में तेरा होना जायज़ है
किताबों में तुमको लिखना आदत है
तू असर है, दुआओं का मेरे ;
बीते बरसातों के ।
दुआओं में तेरा होना लाज़िम है
ओ यारा वे , तू ही मेरी चाहत है ।-
थोड़ा-सा शायर हूँ
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धागे वफ़ा के जोड़ आया मैं
नज़रों से बातें सुना के ।
अधरों पे उसकी छोड़ आया मैं
नाम मेरा, यूँ हँसा के ।
मैं तो जोगी बनता फिरूँ
मैं तो जोगी बनता फिरूँ
इश्क़ में तेरे ओ यारा ।
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समाहित है इसमें दुनिया के
हर वर्ण कहे ।
व्यञ्जन दिखे ,
हर स्वर मिलें ,
विसर्ग दिखे ,
अनुस्वार भी रहे ,
गृहीत भी चले ,
संयुक्ताक्षर भी पढ़े ,
ये हिन्दी है भाई !
जो हर हिन्दुस्तानी कहे ।
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तुझे कह के दुनिया :
क्या ,
क़िस्सा कर दूँ ख़त्म मैं ?
या फिर हज़ार लफ़्ज़ों से
करूँ बयाँ तुझे हर नज़्म में ।-
नदी-नालों में बारिश का पानी
जैसे कोई करतब दिखा रहा हो ।
देखने गये कुछ लोग
मोहल्ले से निकलकर पुल की ओर ।
50-60 उम्र के कुछ मौजी ,
नादान बच्चे थे वहाँ ;
10-12 साल के कुछ समझदार
बुजुर्ग भी खड़े थे जहाँ ।
हाथों में लेकर मोबाईल
सारे के सारे मुतमईन लोग
फोटो पे फोटो , खीच रहे थे ।
घर के अंदर पानी
घर के बाहर पानी
लगे है सब समंदर का पानी
लोग मुस्कुरा रहे थे, लोग हंस रहे थे ।
गली-चौबारे में बारिश का पानी
जैसे कोई करतब दिखा रहा हो ।-
If someone sights simplicity
inform me
If you feel it
pray for me
That, in me a little
It comes over,so I hold up
From my old me
issues maybe, I have
Until now I was the same
That I was for years
In my character, maybe some
Shine comes over
Therefore share with me
If
Someone sights that simplicity
By all odds inform me.-
आज, कई बरसात के बाद
रेडियो सुन रहा था
कुछ गाने बज रहे थे
जाने - पहचाने से
सभी ऐसे गाने बजे
जो मेरे कंट्रोल में नहीं थे
लेकिन अच्छा लगा
अब भी उन्हें महसूस कर रहा हूँ
यादें जुड़ी हैं उनसे ,बचपन की
बेफिक्र ज़िन्दगी की ।
मन जैसे हल्का हो गया
कुछ पल के लिए ही सही ।
किसी बोझ को मन में लादे-लादे
आज ,अच्छे लगे वो पुराने गाने ।-
शुक्रिया
लफ़्ज़-ए-ज़बान
तुझे मैं कहता हूँ
तुझे मैं सुनता हूँ
तुझसे ही सजी है
मेरी दुनिया में तस्वीरें कितनी
कितने रंग बिखरें
तुझसे ही मेरा नाम हुआ
ज़िन्दगी को कुछ जान लिया
शुक्रिया
लफ़्ज़-ए-ज़बान-
मोबाईल की बाहों में
धुंधली होती जा रही है ज़िन्दगी ;
साफ़ देखने के लिए लम्हा
कोई चश्मा-ए-नज़रिया ला दे ।-
चाहे तो अख़बार में
मेरे चंद अशआर लिखो
या हर्फ छुपाके मुझे
मालिक-ए-कारोबार लिखो
मेरे वजूद से शायद
उस पर कुछ गुजरे
भले ही मुझे शायर कहके
एक अफ़वाह लिखो ।
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