तुम जो हर रोज उसके
आंखों में डूबने कि सोचती हों
वो क्या तुम्हारी आंखों के बारे में सोचता होगा।
तुम जो गुलाब,कमल, चमेली
उसको हर फूलों का भी शाहजादा लिखती हो
वो क्या तुम्हारी कविताओं को पढ़ता होगा ।
तुम जो, अलग हवा
उसको अलग खुशबू कहतीं हो
वो क्या हवाओं में भेजी हुई
तुम्हारी खुशबू वालीं अल्फाजों को सुनता होगा।।
तुम जो उसके याद में
डायरी के पन्नों को ख़राब करतीं हो
वो क्या एक पल के लिए तुझको याद करता होगा।।
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लबों पर ठहरा रहा तेरा नाम
तुझे आवाज दे ना पाया
मुझसे जो नज़रें चुरा कर
इंतजार में थी मेरे बुलावे की
एक बार आंखे देख लेती
इन आंखों से ना जाने कितनी बार तुझे बुलाया-
जो बैठा हुं मैं
ये गम ये शामें ढल क्यों नहीं जाता
हर रोज़ उसे देखना, ओर आंखों का गुज़ारा करना
ये आदतें ये नज़रिया बदल क्यों नहीं जाता-
चलोगी मेरे साथ
अच्छा आना..
जब सुबह उठोगी तो
सिर्फ मेरे हिस्से के दिल को ही जगाना
जब तन साफ़ करोगी कच्चे पानी से
तो भय का मैल धुल लेना
ढेरों कपड़े देख उलझन में नहीं पड़ना
पापा जो आख़री बार लाएं थे
वो सूट पहनना
ओर सुनो
मुझ तक पहुंचाने वालीं सड़क में
पुरा ज़माना पड़ता है
तुम्हारा हिम्मत कम पड़ेगा
घर के चोखट से निकलने से पहले
पापा को सफर के बारे बताना
अंतिम ख्वाहिश बता के
चलीं आना
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यूं ही तुम हर पल मुस्कुराती रहना
हवाएं चुरा ना सके खुशबू तुम्हारी
तुम बालों में अपने उसे उलझाते रहना
ओर.....
गुरूर है चांद को अपनी खुबसूरती पर
तुम भी आंखों में काजल लगा कर ,
चांद को जलाते रहना।
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खोरठा पंक्ति
जखीन तोहे आलह पिया घरा रे पिछुवनिया
आरे घरा रे पिछुवनिया,
बजावे लागलह न पिया हो रून-झुनु बसुरिया
बजावे लगालह न पिया हो रून-झुनु बसुरिया ।।-
हे ललना,रमणी, कामिनी
ले तुम्हारा सम्मान दिया।
तुम्हारी पवित्रता धूमिल ना हो,
ले तुम्हारे सामने शीश झुकाना मान लिया।
हे ललना,रमणी,कामिनी
ले तुम्हारा सम्मान दिया।
आंचल में तुम्हारे कोई दाग न लगे निकलो घर से जब तुम तो,
ले तुम्हारा सुरक्षा दान दिया।
है ललना, रमणी, कामिनी
ले तुम्हारा सम्मान दिया।
आंसू आए ना नयन से तुम्हारे
ले तुम्हारा वो मान दिया,
अशिक्षित न हो तुम ले तुम्हारा जान दिया।
हे ललना, रमणी, कामिनी
ले तुम्हारा सम्मान दिया,
ले तुम्हारा सम्मान दिया।-
कोवन भईया बोले छे,
बहन लानेल जाबे राम
कोवन भाभी बोले छे
आरो दिना चारी राम
बड़ा भईया बोले छे
बहन लानेल जाबे राम
बड़ी भाभी बोले छे
आरो दिना चारी राम
सोनवो ने लेबय भाभी
चाँदीयो ने लेबय राम
डार पुजी लेबय भाभी
घरा घुरी आंबे राम
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दुर होकर भी
जो पास होने का एहसास दिलाती हैं
उससे मिलना है
मेरे साथ रहने का वादा दे कर
जो घर - सामाज से लड़ कर आऊंगी कहतीं हैं
उससे मिलना है
वो अपने शहर में बैठी
जो मेरे मायूस दिल को समझातीं - फुसलाती है
उससे मिलना है
सामना नहीं हुआ दोनों का
जिसने सिर्फ तस्वीर देखी और
जो अब बेहिसाब इश्क करती है
उससे मिलना है
सोने से लेकर जागने तक
जो पुरे दिन का हिसाब पूछतीं है
जो अपने आप को मेरी मालकिन समझतीं है
उससे मिलना है
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एक तम्मन्ना है
उसे सोचूं ओर सोचता जाऊं,सोचता जाऊं
इतना सोचूं की पास आ जाएं
एक तम्मन्ना है
उसे देखूं ओर देखता जाऊं,देखता जाऊं
तब तक देखूं तब तक मेरी आंखे न सो जाएं
एक तम्मन्ना है
उसे लिखूं ओर लिखता जाऊं,लिखता जाऊं
इतना लिखूं की वो मेरी किताब हो जाएं
एक तम्मन्ना है
उसके साथ चलूं ओर चलता जाऊं,चलता जाऊं
तब तक चलूं जब तक रास्ते खत्म न हो जाएं
एक तम्मन्ना है
उसे सुनूं ओर सुनता जाऊं,सुनता जाऊं
तब तक सुनूं जब तक उसके शब्द खत्म न हो जाएं-