अब किसी से दिल लगाने को कहना मत उन गलियों में फिर से लौट जाने को कहना मत अब मैं खुद से खफा हूं, खुद से की हुई दगा हूं अब इस दगा को एक दफा दोहराने को कहना मत बड़ी मुस्किल से बांधा है फिर से इस बांध की दीवार को अब फिर से उजड़ जाने को कहना मत बड़ी मुस्कील से संभला है ये दिल अब फिर से लौट जाने को कहना मत मत करना तुम मुझसे कोई वादा ना ही कसमों को निभाने को कहना तेरी हसीं पे जैसे लूटे थे एक बार अब किसी और पे मिट जाने को कहना मत जो टूटे हैं एक एक बार बार, अब फिर से ख्वाब सजाने को कहना मत जख्म अभी भरे नहीं हैं, फिर से बाहें फैलाने को कहना मत अब सब खाली है भले ही, पर सुकून है इसे भरने की ख्वाइश जगाने को कहना मत अब किसी से दिल लगाने को कहना मत
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