एक दिन मनाऊं ऐसा ये दिवस नहीं।
एक ही शब्द बोलूँ ,ज्ञात मुझे शब्द नहीं।
तू ममता की मूरत हैं।
बिन बताये ,समझे हर दर्द हैं,
जब तेरे पास रहूँ,
हर काम लगता आसान मुझे।
हर नई परिस्थिति की,
जानकारी मिलती तुझसे ।
तुझसे ही पहचान है,
माँ जग से तू महान हैं-
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अपनी मंजिल स्वयं चुननी पड़ती हैं,
क्योंकि दुसरो से बेहतर
आप स्वयं को जानते हैं,
आप ही खुद के निर्णायक हैं ।
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हर पूंजीपतियों का चक्का जाम हैं,
बिना मजदूर के चलता न कोई काम हैं
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आपकी यादों में सब्जी काट रहा है
कुछ एक बर्तन में तो कुछ
जमीन पर रखता जा रहा हूं।-
जब जब प्यार को जीने की चाह रखता हूं
तब तब आपको याद कर लिया करता हूं-
किस तरह आपसे खैरियत पूछे..
सायद आज बिचलित थे ,
लगा तबियत आज नासाज़ सा।
मन थोड़ा बोझिल सा
मुखड़ा जरा सुस्त सा,
कुछ तो हुआ है
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यादों का हैं मौसम आया,
केवल आपका चेहरा भाया,
न कुछ बोल पाता हूँ,
न ही कुछ बता पाता हूँ।
बस यही याद करता हूँ,
गर आप यादों में आ जाओ,
बातों की पोटली खोल जाओ
वास्तव में तो आप व्यस्त हैं ,
तो इन बातों का मोल क्या.....
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बचपन के दिन सुहाने होते है,
यूँ झूठ-मुठ के पकवान पकाना,
मिल-जुल कर थोड़ा-थोड़ा खाना,
बेबात किसी बातों पर अटक जाना,
ये दिन सब दिन याद आते हैं,
इस लिए बचपन हमेशा खास होते हैं।-
जब भी तुम पास रहते हो
मन को रोकने पर भी
एक नज़र देख ही जाता हूँ।-
आज तेरा चेहरा बडे दिनों बाद देखा।
फिर से तुम्हें याद करना चाहता है ये दिल❤,
जब-जब याद करता हैं ये दिल💜
एक अलग एहसास को
पा जाता हैं ये दिल💜❤।
खुश तो बहुत हैं आज मन मेरा,
पर कैसे मनाऊं इस दिल को,
बातें तो तुमसे होती कहाँ हैं
तो हाल-ए-दिल बताऊँ किसे???
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