J.n.v.- यादों का इक सुहाना सफर ✈️
होली
जब हम जूनियर थे,
तब सिनियर हाउस चले जाते थे।
और जब सिनियर हुए,
तो जूनियर हाउस चले जाते थे।
छुपकर पढ़ाई करने के लिए।
मेरे क्लासमेट ढूंढते रह जाते थे ,
होली में रंग लगाने के लिए।😀-
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जब
हॉस्टल में क्रिकेट खेलते समय,
ट्यूबलाइट या बल्ब फूट जाता था ।
तब
हमलोग उस के जगह पे फ्यूज ट्यूबलाइट या बल्ब लगा देते थे,
और बाद में नया इश्यू करवा लेते थे।🤩-
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नवोदय में जूता मिलता था,
पहन ने के लिए
पर
कुछ लोग इसका उपयोग करते थे,
रात में छत पे ईंधन के रूप में
नॉनवेज बनाने के लिए 😆-
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न्यूज़ देख देख कर ,
जब मन दुःखी हो जाता है,
इस लॉकडॉउन में,
तब
खुशियों के कुछ पल ढूंढ़ लेता हूं मैं,
अपनी नवोदय की पुरानी यादों में,
दिन और भी खास ,
बन जाता है ,
जब बात हो जाता है,
किसी नवोदयन से शाम में।-
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हमारे नवोदय में कक्षा 11 वीं में जिन बिहार बोर्ड
स्टूडेंट्स का एडमिशन आर्ट्स में होता था।
उसे कुछ लोग "बिहार बोर्ड "उपनाम देकर
पूरे दो साल तक चिढ़ाते थे।😂-
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नवोदय में हमलोग को टाई मिलता था,
लगाने के लिए
पर
कुछ लोग इसका उपयोग करते थे,
मच्छरदानी में
बांधने के लिए। 😂-
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Lockdown ki wajah se,
Environment Etna saaf ho gaya hai ,
ki
Mujhe yanhi se pura Navodaya school saaf saaf
Dikhai dene laga hai.🤣-
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जैसे लॉकडाउन में भागदौड़ वाली जिंदगी रुक जाती है,
ठीक ऐसे ही , मेरी जिंदगी भी थम के रह जाती है।
जब नवोदय की पुरानी यादें बरसती है जमकर ।
फिर सो जाता हूं, मैं उन यादों को तकिए बनाकर।-
J.N.V. - यादों का इक सुहाना सफर ✈️
इस लॉकडाउन में बैचेनी मेरी बढ़ सी गई है।
दिल की धड़कन तीव्र सी हो गई है ।
सांसें मेरी बढ़ सी गई है ।
पूछा हमने दिल के डॉक्टर से तो पता चला,
कि सर्दी के कारण नवोदय की यादें जो दिल में जम सी गई थी।
इस गर्मी के कारण वो नवोदय की यादें अब पिघल सी गई है। 🤩-