कोई तो हो जो बेवजह गले से लगाए,
कुछ मेरी सुने कुछ अपनी सुना जाए।
ना कोई चाह की हो वो परियो सी,
बस इतनी सी आस मेरी चुप्पी समझ जाए,
कोई तो हो जो बेवजह गले से लगाए ।
दुनियां की सारी खुशी दे पाऊँ मेरे बस की नही,
हां गलती में कान पकड़ने पे बस गले से लगा जाए,
कोई तो हो जो कुछ मेरी सुने कुछ अपनी सुना जाए।
एहसास का हो बन्धन साँसों सा हो संगम,
बिना बोले मेरे सर को गोद में रखे प्यार से शिकायत लगाए।
कोई तो हो जो बेवजह गले से लगाए,
कुछ मेरी सुने कुछ अपनी सुना जाए।-
जो पूरी ना हो वो फरमान थे हम !
वो जो लिख कर मिटा गए,अरमान थे हम।
होटो की वो मन्द सी मुस्कान!
दिल में सवालो का पैगाम थे हम।
मुस्कान की उम्र चन्द लम्हे!
वो दरवाजे के उस ओर खड़े अनजान थे हम ।
जो पूरी ना हो वो फरमान थे हम।-
ऐ माई तू है तो मैं हूँ मेरी खुशियां।
जो तू नही तो ना मैं ना मेरी खुशिया।
माई तूने खिला, अमृत पिला मुझे तकलीफों से लड़ना सिखाया है
जो तू ना रहेगी ,लारूँगा कैसे बता, कलेजे से जान भला दूर कब तक रह पाया है।
माई अंधेरे से डरता हूँ जानती है ना फिर कैसे हाथ छुड़ाया है।
माई राह दिखा दे बस एक तू है और तेरी छाया है।
ऐ माई तू है तो मै हूँ मेरी खुशियां
जो तू नही तो ना मैं ना मेरी खुशियां।
माई तुझसे बड़ा कोई साथी नहीं जो साथ निभा दे अंतिम तक
देखु जो ख्वाब मैं पूरा कर जाए अंतिम तक।
माई कहता नही मैं पर तु शिर्फ़ तू हैं मेरी दुनियां
जो तू नही तो ना मैं ना मेरी खुशियां।
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सोचता हूँ बोल दूं दिल की बात की
आजकल मैं रातों-रात जागने लगा हूँ।।
खुले आँखों के हैं सपनें की
बीन बात मिलों भागने लगा हूँ।।
होती मुलाकात चंद लम्हों की
दिन रात उस लम्हे को ताकने लगा हूँ।।
पता नहीं कहूँ दूं या नहीं की
आपको बेहद चाहने लगा हूँ।।
दिल में शायद होगा कोई की
डर से खुद ही सवाल कर जवाब मांगने लगा हूँ।।
आजकल मैं रातो-रात जागने लगा हूँ।।
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आपसे एहसास चाहिए,
एहसान तो कइयों ने किए।
कोई तो बेमतलब याद करें,
मतलब से याद तो सबने किए।
क्या हो जो लग के गले सो जाऊँ?
थक के फर्स पर अबतक बस करवटें लिए।
परवाह की चादर में समेटे वो,
बेपरवाही से कितने ही शाम मैन किए।
आपसे एहसास चाहिए,
एहसान तो कइयों ने किए।
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जेल के कितने ही चक्कर लगाए,
लाठी बेत कितने ही अपने शरीर पर खाए।
ना डरे ना अपने हट से एक कदम पीछे को जाए,
अंग्रेजो ने कितने ही काले कानून बनाए।
प्रलोभन दिए आओ तुम्हारे सर ताज सजाए,
क्या हैं इन कीचड़ में आओ तुम्हें गोरी मिट्टी से मिलाए।
उन वीरो ने जो उत्तर दिया,
सुन गोरी मिट्टी भी सांवली पर जाए।
कहा इस माँ ने हमें जन्म दिया ,
इसकी रक्षा को हम यही कीचड़ मे सौ बार मर जाए।
जब जब देखूँ तिरंगे को सर गर्व से ऊँचा हो जाए,
शत शत नमन उन वीरो को जिन्होंने हमारे लिए ना जाने कितने ही चोट खाए।
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आदत सी हो जाती हैं,
कभी काभी दर्द भी राहत सी हो जाती है।
भूलना जो चहुँ उनकी यादों को,
कम्बक्त फिर उन्ही से चाहत सी हो जाती है।
आदत सी हो जाती है,
कभी कभी दर्द भी राहत सी हो जाती है।
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क्यों खुशी रास आती नही।
याद है कि दिल से जाती नही
क्यों दिल को सुकू रास आती नही।
एक खलिश है कि जाती नही
क्यों खुशी रास आती नही।-
गुस्सा हैं वो मनाऊ कैसे,
कितनी तलब हैं उनकी दिखाऊ कैसे।
सुन ना एक बार धड़कन सुन ले मेरी,
गलतियां होती हैं मुझसे मानता हूँ,
तू गुस्सा होती हैं जान जाती है मेरी पर तुझे दिखाऊ कैसे।
गुस्सा हैं वो मनाऊ कैसे,
कितनी तलब हैं उनकी दिखाऊ कैसे।
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