अब जो जीवन के सहारे होते हैं
कॉल और मैसेज तुम्हारे होते हैं
तेरे गाल है फूलों के मानिंद सुर्ख
मेरे होंठ सूखे हुए छुहारे होते हैं
जरा सी बात पे फ़ूट पड़ती है
जैसे पानी के फव्वारे होते हैं
बात हो जाती है सबके सामने
अकेले हों तो बस इशारे होते हैं
जाने किस मोड़ तक साथ है वो
जाने किस मोड़ से किनारे होते हैं-
सौ बार रहा हज़ार नहीं रहता
खुदा पे अब ऐतबार नहीं रहता
दिल में थी तो वुसअत मगर
एक ही शख्स हर बार नहीं रहता
तुमसे मिले तकल्लुफ हो जैसे
दिल पहले सा बेकरार नहीं रहता
आशना भी करते हैं तग़ाफ़ुल
तुम्हारा भी इंतज़ार नहीं रहता
जो दिखता नहीं वो बनता हूँ मैं
सख्सियत से अपनी प्यार नहीं रहता
दवा ऐसी करके गया चारागर
भलाई का मुझको भुखार नहीं रहता-
"पापा"
घर नहीं चलता
घर के पैर नहीं होते
पैर पापा के हैं
जो चलते हैं
निरंतर
पंजे के छाले से
एड़ी की दरार तक-
रातों में गूँजता है
दिल खाली कमरा है
सुन-सुना के मीठी बातें
अब झगड़ा बचता है
नेक आदमी हम भी थे
अब कहना पड़ता है
इक ऐसा रस्ता कि
इक जीवन भटका है
तू जब-जब बदले डीपी
मेरा फोन तपता है
तू बैठा है 'मनीष'
हाँ, तेरा सरता है— % &-
कब कोई आग बुझा देती है
दुनिया जालिम है हवा देती है
वो दूर जा कर मेरी बेचैनी
करीब आ कर साँसे बढ़ा देती है
कभी फोन नहीं करती वो बस
एक तितली उधर से उड़ा देती है
ये जिन्दगी हमें प्यारी बहुत है
मगर कभी-कभी डरा देती है
हाए मेरे कान क्या-क्या सुनते हैं
हाए मेरी जीभ क्या-क्या सुना देती है— % &-
काबू में चाहता है हर छोर आदमी
लगा रहा है पूरा जोर आदमी
घर से ले के दफ्तर तक
बन के उलझा है डोर आदमी
छुपा के अपनी सारी खामियाँ
दूसरों पे करता है गौर आदमी
चाँद के इंतज़ार में अक्सर
तारों को करता है इग्नोर आदमी
ठहरा हुआ किसी बूँद सा
दरिया सा करता है शोर आदमी
रील-वील के चक्कर में
बन के नाचता है मोर आदमी
कि जीना सीख रहा था
सो मर गया एक औऱ आदमी-
जो भाए वही सुनाया जाए
झूठ में शक्कर मिलाया जाए
खाली-खाली सी है जिन्दगी
नई आफत को बुलाया जाए
तुझे याद करके सोचता हूँ
तुझे कैसे भुलाया जाए
या तो कुछ भी न मिले
या सब कुछ पाया जाए
हर कल देता है सबक
हर आज कैसे बिताया जाए
गर्दन तब बचेगी 'मनीष'
गर हौसला बचाया जाए— % &-
चुनौती बड़ा नहीं, नेक बनने की है 'साहब'
पिता का साया हर बच्चे के सर पर नहीं होता।-
चारों जानिब मसला है बहुत
कि दुनिया में खतरा है बहुत
आईना फट से बोला
ये शख्स बदला है बहुत
भूल गया मैं उसका चेहरा
पाने के लिए दुनिया है बहुत
जाया न कर ग़म पे आँसू
तुझको अभी हँसना है बहुत
जो हुआ सो हुआ
बस करो सुना है बहुत-
हाथ हवा में हिला के चल पड़ा
दोस्त दूर से देख कतरा के चल पड़ा
जाग के गुजारी हैं कई रातें तेरा
इश्क़ मुझे उल्लू बना के चल पड़ा
कभी न दिखाई झूठी संवेदना किसी को
या तो रुका या हाथ मिला के चल पड़ा
छोटा ही सही घर तो अपना है भाग्य
कितनों को सड़क पे लेटा के चल पड़ा
उसकी हथेली पे अब जगह नहीं ये देखकर
मैं अपना दिल उठा के चल पड़ा
इसी दुनिया से थे मस'अले मेरे
इसी दुनिया को रुला के चल पड़ा-