Loneliness is apparently opted,and in reality, imposed....
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क्यूं लड़ना तूझसे ऐ जिन्दगी,अब तो बस हार जाना है,आंखें मूंदे सांसों के पार जाना है,जो तू होती अपनी तो शिकायतें करता,
बेगानों से क्या निभाना है।-
सूना सा आसमां लिख दो,वीरां सा जहां लिख दो,पतझड़ के कुछ पत्ते लिख दो,सावन की कुछ बूंदें लिख दो,पूस की इक रात लिख दो,अधूरी सि कुछ बात लिख दो,टूटे से कुछ ख्वाब लिख दो,अपने सारे जज़्बात लिख दो,अपने कुछ हालात लिख दो,सुना है की ये स्याह सि स्याही अपनों से ज्यादा अपनी होती है,खातिर इसी के आज सारी बात लिख दो।
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Every cellphone has a contact number,which
can neither be dialed nor deleted,just like a hopeless hope.....-
आकर्षण या फिर आवश्कता या फिर अंतहीन एकाकी मन की संवेदनशील लालसा को अनायास ही प्रेम समझ लेते हैं लोग,और
फिर परिस्थितियां परिवर्तित होती,चित श्रेष्ठ के अन्वेषण में तत्पर रहता,दृष्टि फिर मनोरम सा दृश्य दिखाती,समाजिक और सांसारिक संरचना के अनुकूल एक नये से व्यक्तित्व से परिचय करवाती, ढलते सूरज की तरह,ढल जाता है वो अतीत का प्रेम,
अवशेष रह जाती हैं उसकी त्रुटियां,जीर्ण शीर्ण पोशाक की भांति तज दिया जाता वो धुमिल पड़ चुका प्रेम जो कभी आलौकिक हुआ करता था,वर्तमान तर्कसंगत प्रेम के सानिध्य में हर्षित,सारे आंकाक्षाओं को परखने के तत्पश्चात,सांसारिक स्वीकृति लिए वैध रूप से स्थापित हो जाता है,और इस सारे प्रकरण में,इक परित्यागित हृदय पाषाण हो जाता है,सूख जाते हैं निर्झर धारा के नयन स्रोत,धमनियों में बहता लहू जमने सा लगता है,विस्वास अविश्वास में परिवर्तित,बेकल सा मन लिए,सारे संभावनाओं से परे,अपने अंत की ओर अग्रसर हो जाता है। प्रेम में लोग बिछड़ते नहीं,इक स्थापित हो जाता है,दूसरा व्यथित रह जाता है।-
बदला कुछ भी नहीं,फकत वो शख्स बदल गया जिसकी वजह से सब बदला बदला सा था ।
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सबके तन्हाइयों का सामां रहा,के मैं चांदनी रात में सूना सा आसमां रहा।
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जिस इश्क को मुकम्मल न होना हो उसकी भी इक खासियत होती है,के वो सांस आखिरी तलक होती है।
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मत करो हमसे ये गैरों सा सलूक,इक गफलत तो रहने दो,यूं तो खबर हमें भी के कोई हमारा नहीं।
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