कोई पूछो जाके उससे,
वह उदास है क्या ?
कुछ केह नहीं रहा,
ज़िंदा लाश है क्या ?
देख रहा हूँ सुबह से तुम्हें,
बड़ी खामोश हो ।
कहो कुछ बात है क्या ?
निगाहैं टीकाएं बस ,
देख रही हो आसमां की तरफ ।
उसमें कुछ ख़ास है क्या ?
अरे जवाब नहीं दे रही हो,
मेरे सवालों का ।
दबा दिल में
कुछ एहसास है क्या ?
सुबह से नहीं मिल
रहा मेरा दिल ।
देखना जड़ा ,
तुम्हारे पास है क्या ??
-
मैं यूं ही फिरता हूं|💚💜
जिंदगी की दौड़ में कभी संभलता... read more
बात हृदय का मुख तक आके ,
देख उन्हें रूक जाते हैं ।
होंठ मेरे सिल जाते ,
पलके उनके झुक जाते हैं ।।
एक पाषाण सा हो जाता ,
न ही कुछ केह पाता हूँ ।
वो भी मूक हो जाती ,
मैं भी मूक हो जाता हूँ ।।
-
दूसरों के उम्मीदों पे जीना छोड़,
ख़्वाब खुद के भी बुन लिया करो ।
ताने ज़माने के सुने बहुत,
कभी दिल की भी सुन लिया करो ।।
-
उगना
वनक वृक्ष अहां किछु कहू,
कहू किछु धरती अंबर ।
कुन-कुन ठाम बउवाईत फिरू ,
कुन ठाम भेटत उगना हम्मर ।।
[👇👇 पूरी कविता caption में 👇👇]-
बरैली भी तरस रहा है,
झुमका तेरा पाने को ।
उन झुमको ने मार दिया है,
देख तेरे दीवाने को ।।
ईक दीदार को तरस रहा ,
हर शाम क़ैद है मेरी ।
जान तेरे झुमको में ,
जान क़ैद है मेरी ।।-
जो यूपी से दीनता दूर करे ,
और साक्षरों से देश सजाए ।
जो धर्म बचाए दुष्टों से,
और सनातनी का मान बढ़ाए ।।
जो धर्म-प्रेम है जगा हृदय में,
वो प्रेम कभी घटने न दे ।
'अटल' राह पे चले जो ,
और देश कभी बँटने न दे ।।
-
कभी नंदलाल गोपाल बने,
कभी पुरुषोत्तम श्रीराम बने ।
कभी अंगराज,कभी पार्थ बने ,
कभी ब्राह्मण परशुराम बने ।।
कभी धीर धरे ,कभी वार करे ,
कभी बन सिंह संघार करें ।।
-
कटे मुण्ड बैरी के ,
या प्राणो का दान हो ।
मृदा लोहित हो जाए लहू से,
एक ऐसा संग्राम हो ।
राम राज्य स्थापित हो,
तब जा कर विश्राम हो ।।-