Manish Jha   (Manish Jha)
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Joined 11 March 2018


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Joined 11 March 2018
29 DEC 2022 AT 12:05

कोई पूछो जाके उससे,
वह उदास है क्या ?
कुछ केह नहीं रहा,
ज़िंदा लाश है क्या ?
देख रहा हूँ सुबह से तुम्हें,
बड़ी खामोश हो ।
कहो कुछ बात है क्या ?

निगाहैं टीकाएं बस ,
देख रही हो आसमां की तरफ ।
उसमें कुछ ख़ास है क्या ?
अरे जवाब नहीं दे रही हो,
मेरे सवालों का ।
दबा दिल में
कुछ एहसास है क्या ?

सुबह से नहीं मिल
रहा मेरा दिल ।
देखना जड़ा ,
तुम्हारे पास है क्या ??

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4 OCT 2022 AT 18:44


बात हृदय का मुख तक आके ,
देख उन्हें रूक जाते हैं ।
होंठ मेरे सिल जाते ,
पलके उनके झुक जाते हैं ।।

एक पाषाण सा हो जाता ,
न ही कुछ केह पाता हूँ ।
वो भी मूक हो जाती ,
मैं भी मूक हो जाता हूँ ।।

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24 APR 2022 AT 12:35

दूसरों के उम्मीदों पे जीना छोड़,
ख़्वाब खुद के भी बुन लिया करो ।

ताने ज़माने के सुने बहुत,
कभी दिल की भी सुन लिया करो ।।

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25 MAR 2022 AT 12:15

उगना

वनक वृक्ष अहां किछु कहू,
कहू किछु धरती अंबर ।
कुन-कुन ठाम बउवाईत फिरू ,
कुन ठाम भेटत उगना हम्मर ।।

[👇👇 पूरी कविता caption में 👇👇]

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16 FEB 2022 AT 17:06

बरैली भी तरस रहा है,
झुमका तेरा पाने को ।
उन झुमको ने मार दिया है,
देख तेरे दीवाने को ।।

ईक दीदार को तरस रहा ,
हर शाम क़ैद है मेरी ।
जान तेरे झुमको में ,
जान क़ैद है मेरी ।।

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14 FEB 2022 AT 22:13


जो यूपी से दीनता दूर करे , 
और साक्षरों से देश सजाए ।
जो धर्म बचाए दुष्टों से,  
और सनातनी का मान बढ़ाए ।। 

जो धर्म-प्रेम है जगा हृदय में,
वो प्रेम कभी घटने न दे । 
'अटल' राह पे चले जो ,
और देश कभी बँटने न दे ।।

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14 JAN 2022 AT 21:08

कभी नंदलाल गोपाल बने,
कभी पुरुषोत्तम श्रीराम बने ।

कभी अंगराज,कभी पार्थ बने ,
कभी ब्राह्मण परशुराम बने ।।

कभी धीर धरे ,कभी वार करे ,
कभी बन सिंह संघार करें ।।

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30 DEC 2021 AT 23:30


कटे मुण्ड बैरी के ,
या प्राणो का दान हो ।
मृदा लोहित हो जाए लहू से,
एक ऐसा संग्राम हो ।
राम राज्य स्थापित हो,
तब जा कर विश्राम हो ।।

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24 NOV 2021 AT 16:55

लचित बाॅरफुकन (Lachit Borphukan)

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24 NOV 2021 AT 16:47

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