Manish Jha   (मनीष)
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Student
Joined 30 December 2018


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6 JUL 2021 AT 10:11

जबरन बात करना
हंसाना, रूठना और मनाना
निहायती गलत है ये
तुम्हारा ये सब करना
वो कहता नहीं कुछ, पर सुनता तो है
सामने कुछ नहीं, पीछे कहता तो है
चलो छोड़ो किस्सा बयानी,
कुछ नहीं यहीं बंद कहानी
युं पागलों के फसानों में
कब तक अपना जिक्र पाओगे
अजीब तो कहते ही हैं लोग
तो क्या तुम खुद को भूल जाओगे
अभी राह बहुत है, मंजिलें बहुत हैं
इंतजार एक सूरत है, सूरत-ए-इल्तजा बहुत है
अब ये स्याही की रवायत बन्द करो
कुछ अच्छा करो,
खुशी से करो
कैफियत से करो।

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6 JUL 2021 AT 1:49

Hai kuch dafan sinee mein
Jo bahar aane ka naam nahi letaa
Hain kuch masle iss dil se mere
Suljhana toh hai
Mera munsif meri fariyaad nahi letaa

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16 AUG 2020 AT 2:28

ये जो तुम कुछ भी कहते हो,
कहते रहना!
आजाद हो तुम भूलना मत
कभी जब लगे कि
आ गया वक्त रूकने का
तो उड़ेल लेना तिरंगा माथे पर
तकलीफ रहना
बस बहते रहना!

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15 AUG 2020 AT 2:07

वो भीड़ में अकेला
और अकेले में भीड़ को पाता है।
वो खुश है या रो रहा है,
सिवा उसके कोई न जान पाता है।
कभी सिसकता है,
कभी खिलखिला उठता है,
गिरने को हो कोई बूंद जब
पकड़ने को उछल उठता है।
वो कहता नहीं कभी कुछ,
बस जब कभी खो जाता है
कुछ लिख जाता है।

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15 AUG 2020 AT 1:59

उसे एकांत पंसद है,
तुम उसे क्या महफिलें दोगे।
वो बिना प्रेम के प्रेम जिया है,
जाओ तुम उसे क्या प्रेम दोगे।

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15 AUG 2020 AT 1:27

बहा के लहु हम पा लिये आजादी परिन्दों की तरह,
मिली मंजिल पर चुकाई कीमत अपनों से बिछड़ कर।

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13 AUG 2020 AT 1:45

दरअसल जिनके पास छत है,
उन्हीं के पास छाते हैं,
जो हैं आज भी बेघर,
वही लोग भीगते हैं, बारिश में
बूंद के साये में आंसू छिपाते हैं।

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13 AUG 2020 AT 1:41

सही-गलत
सच-झूठ
अच्छा -बुरा
पाप-पुण्य
कुछ नहीं भ्रम है
ये मनःस्थिति है मात्र

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13 AUG 2020 AT 1:37

सही-गलत
सच-झूठ
अच्छा -बुरा
पाप-पुण्य
कुछ नहीं भ्रम है
ये मनःस्थिति है मात्र
ये स्थूल सृष्टि है

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13 AUG 2020 AT 1:32

शीर्षक - गाली

लेख का शीर्षक कुछ सूझ नहीं रहा था तभी बगल में सड़क पर एक बच्चा अपनी मीठी जुबान से बड़े ही अलौकिक शब्दों में गाली बखान करता हुआ चला जा रहा था। पता करने पर मालूम चला कि उसे किसी ने परेशान किया था और वह उसके फ्रस्ट्रेशन में अपनी वाणी से प्रहार कर रहा था।
........कैप्शन पड़ो.......

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