जबरन बात करना
हंसाना, रूठना और मनाना
निहायती गलत है ये
तुम्हारा ये सब करना
वो कहता नहीं कुछ, पर सुनता तो है
सामने कुछ नहीं, पीछे कहता तो है
चलो छोड़ो किस्सा बयानी,
कुछ नहीं यहीं बंद कहानी
युं पागलों के फसानों में
कब तक अपना जिक्र पाओगे
अजीब तो कहते ही हैं लोग
तो क्या तुम खुद को भूल जाओगे
अभी राह बहुत है, मंजिलें बहुत हैं
इंतजार एक सूरत है, सूरत-ए-इल्तजा बहुत है
अब ये स्याही की रवायत बन्द करो
कुछ अच्छा करो,
खुशी से करो
कैफियत से करो।-
Hai kuch dafan sinee mein
Jo bahar aane ka naam nahi letaa
Hain kuch masle iss dil se mere
Suljhana toh hai
Mera munsif meri fariyaad nahi letaa-
ये जो तुम कुछ भी कहते हो,
कहते रहना!
आजाद हो तुम भूलना मत
कभी जब लगे कि
आ गया वक्त रूकने का
तो उड़ेल लेना तिरंगा माथे पर
तकलीफ रहना
बस बहते रहना!-
वो भीड़ में अकेला
और अकेले में भीड़ को पाता है।
वो खुश है या रो रहा है,
सिवा उसके कोई न जान पाता है।
कभी सिसकता है,
कभी खिलखिला उठता है,
गिरने को हो कोई बूंद जब
पकड़ने को उछल उठता है।
वो कहता नहीं कभी कुछ,
बस जब कभी खो जाता है
कुछ लिख जाता है।-
उसे एकांत पंसद है,
तुम उसे क्या महफिलें दोगे।
वो बिना प्रेम के प्रेम जिया है,
जाओ तुम उसे क्या प्रेम दोगे।-
बहा के लहु हम पा लिये आजादी परिन्दों की तरह,
मिली मंजिल पर चुकाई कीमत अपनों से बिछड़ कर।
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दरअसल जिनके पास छत है,
उन्हीं के पास छाते हैं,
जो हैं आज भी बेघर,
वही लोग भीगते हैं, बारिश में
बूंद के साये में आंसू छिपाते हैं।-
सही-गलत
सच-झूठ
अच्छा -बुरा
पाप-पुण्य
कुछ नहीं भ्रम है
ये मनःस्थिति है मात्र-
सही-गलत
सच-झूठ
अच्छा -बुरा
पाप-पुण्य
कुछ नहीं भ्रम है
ये मनःस्थिति है मात्र
ये स्थूल सृष्टि है-
शीर्षक - गाली
लेख का शीर्षक कुछ सूझ नहीं रहा था तभी बगल में सड़क पर एक बच्चा अपनी मीठी जुबान से बड़े ही अलौकिक शब्दों में गाली बखान करता हुआ चला जा रहा था। पता करने पर मालूम चला कि उसे किसी ने परेशान किया था और वह उसके फ्रस्ट्रेशन में अपनी वाणी से प्रहार कर रहा था।
........कैप्शन पड़ो.......-