Manish Ganga   ({\/}@/\/¡${-})
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Joined 20 May 2017


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24 APR AT 20:42

क्या होता गर द्वापर मैं एक और विवाद होता ।
कृष्ण राधिका औऱ रुक्मणि का संवाद होता ।।

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22 APR AT 23:49

क्या भूल गई तुम श्रृंगार रस से ,
ख़ुद को सुशोभित करना ।

बिंदिया माथे पर क्यों अब,
तुमसे लगाई नहीं जाती।

मेरे दिए वो कँगन क्या अब
तुमको हाथों मैं नहीं आते ।

क्या भूल गई तुम नथ नाक मैं ,
कैसे पहनी जाती हैं ।

या झुमके तुम्हारे कानों को,
बोझिल लगते जाते हैं ।

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21 APR AT 23:51

है कृष्णा एक बात बताओ,
कया तुम भी विचलित हो जाते हो ।

मन के अंगारो को ठंडा करने ,
क्या तुम भी पार्थ बुलाते हो ।

क्या होता जब सिख मय्या की ,
तुमको याद नहीं आती ।

क्या लोक लाज के डर से माधव,
राधा को छोड़ कर जाते हो ।

क्या नंद गाँव की यादें तुमको,
रोज नहीं आ जाती हैं ।


हैं मधुसूदन एक बात बताओ ,
क्या तुम भी विचलित हो जाते हो ।

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19 APR AT 21:47

लिखा तुम्हें प्रेम से प्रेम मैं प्रेम के लिए ,
जैसे इंतजार लिखा
काले बादलों का बरसात के लिये,
जैसे रस लिखा ,
खिले फूलों का भँवरे के लिये,
जैसे रोशनी लिखा,
अंधेरे को खत्म करने के लिये,
जैसे तुम्हें लिखा,
मुझमें मैं होने के लिये ।

लिखा तुम्हें प्रेम से प्रेम मैं प्रेम के लिए ,

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12 APR AT 23:08

तुम सूर्यलोक से आती हो,
औऱ बड़ा इठलाती हो,
ज्येष्ठ माह मैं कोई तुमसे,
आँख मिला ना पाता हैं ,
गर्मी की तपती दुपहरी मैं,
तुम अपना रौब दिखती हो,
तुम सूर्यलोक से आती हो,
बरखा की मद्धम बूंदो से तुम,
आंख मिचोली करती हो ,
सावन मैं कारे बदरा के बीच,
तुम अपना तेज दिखाती हो ,
तुम सूर्यलोक से आती हो,
बसंत ऋतू मैं स्पर्श तुम्हारा ,
तेज स्फूर्ति दे जाता हैं ,
ऋतु शारदा ठंड गुलाबी,
तुम मुस्कान दे जाती हो

तुम सूर्यलोक से आती हो,
और बड़ा इठलाती हो ।

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26 MAR AT 23:28

परिंदे पथिक तलाशते रह गये ,
पथिक परिंदे मार कर खा गया ।

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26 MAR AT 23:26

है शंभु ,हैं ओंकार,
हैं आदिदेव ,हैं महाकाल ।

चरणों मैं बसी हैं शष्ट्री तेरे,
माथे गंगा बड़ा रही शोभा ।

है रूद्र, है भोलेनाथ ,
है नीलकण्ठ , है केदार ।

क्रोध मैं तुझसा कोई ना होगा,
तुझसा भोला नहीं हैं दूजा ।


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2 MAR AT 0:50

घोर तमस भी रोशनी लगती हैं ,
उजाले आँखों मैं चुभने लगे हैं ।

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25 FEB AT 11:01

खुशियां मेरी एक तरफ़ हैं ,
उसका चेहरा एक तरफ़ ।
उसकी बिंदियां एक तरफ़ हैं,
सोना चाँदी एक तरफ़ ।
उसकी बातें एक तरफ़ हैं,
जादू टोना एक तरफ़ ।
उसका होना एक तरफ़ हैं ।
बाकी दुनियां एक तरफ़ ।

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19 FEB AT 22:07

भटकते हे लोग रास्तें हजारों ,
मैं ख़ुद ही ख़ुद से बिछड़ जाता हूँ ।

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