याद है?
Remember?-
वो अजनबी भी अजनबी रहा, जिससे मेरा अजनबी मिज़ाज भी अजनबी ना रहा, जिस अजनबी से अजनबी ना रहने की ख्वाहिश थी, और हैरानी ये की उस अजनबी से मिलकर कभी वो अजनबी नही लगा, और कुछ यूं वो अजनबी, अजनबी होकर भी अजनबी नही है, पर उस अजनबी के लिए मैं अजनबी ही रहा।
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वो जिसपर लिखनी थी कविता,
वो कागज़ कोरा पड़ा है मेज़ पर,
एक कलम जो कह सकती है सब,
मौन पड़ी है मेज़ पर,
एक कविता जो लिखी जानी चाहिए,
खड़ी है, कहीं दूर एकांत में,
और नज़रों नीची करे खड़ा हूं शांत मैं,
कविता कहती है मुझे बार-बार,
खुद को पन्ने पर उतारने को,
जबकि वह जानती है,
मै इस काबिल नही!
शायद करती है ऐसा बार-बार,
मुझे ताना मारने को।
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एक छोटी सी कल्पना है,
क्या पतंगे भी कुछ कहती है?
या हम भी कभी पतंग बन सकते है?
क्या हम भी यूं आसमां में उड़ सकते है?
या किसी को काट सकते है या कट सकते है?
(In the caption)-
वो लड़की है,
वो आजाद है,
कहीं भी, कभी भी आती-जाती नज़र आ सकती है,
वो देर रात घर जाती या काम से बाहर जा सकती है,
तुम कौन हो?
जो उसे जीना सिखाते हो?
जो उसको उसकी हदे बताते हो?
उसे उड़ने दो, ना बांधो,
तुम क्यों उसको रोकना चाहते हो?
तुम क्यों हदें अपनी भुल जाते हो?
ये ना कविता है, ना कहानी है, एक किस्सा है।
(In the caption)
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खाली छोड़ आया हूं,
अपनी डायरी में कुछ पन्ने तुम्हारे नाम के,
जो लिखा है, सब बेवजह है,
जो छोड़ दिए पन्नें खाली,रिक्त,अधूरे,
वो ही थे बस काम के।
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वो दर्द देते गए,
हम उनका बांटते गए,
वो हमें जख्म अदा करते रहे,
हम उनके सब जख्मों का मर्म देते गए।
(Caption)-