मुक्तसर सी मुलाकात में भी ,
इस क़दर कमाल कर गई ।
हमसे बिन कुछ कहे भी ,
वो हजारों सवाल कर गई ।।
हम कुछ यूं खोए रह गए ,
उसके मदहोश निगाहों में ।
कि हमें पता भी न चला ,
और वो दिल में बवाल कर गई ।।-
हाथ से सरकता हुआ ये साल ,
मुझसे ये सवाल कर गया है ।
क्या पूरी हो गई सारी ख्वाइशे ,
या कोई मलाल रह गया है ।।
मिट गई है सारी हसरतें जीने की ,
या कोई नया सवेरा खिल गया है ।
कि , अजनबी बन गया है कोई अपना ,
या कोई अंजान हमसफ़र मिल गया है ।।-
थे जो कभी देश के गुमान ,
अब वो एक निशानी हो गए ।।
ज़मीन में दफन हो के भी,
वो सारे आसमानी हो गए ।।
दुश्मन भी जिनके आगे,
हर बार पानी-पानी हो गए ।
आज वो एक हादसे से,
बीते कल की कहानी हो गए।।-
कभी कभी कुछ कहते नहीं ,
कभी बिन बोले सब कह जाते हो ।
यार तुम भी ना , सरमाते बहुत हो ।।
रूठ जाते हो कभी बेवजह ,
फिर खुद ही मान जाते हो ।
यार तुम भी ना, सताते बहुत हो।।
पल भर के लिए न दिखूँ जो कभी ,
तो दीदार को तरस जाते हो ।
कुछ भी कहो , हमें चाहते बहुत हो ।।-
यारों की महफ़िल सजी थी एक दफा
ये देख के हम भी उसमें शरीक हो गए
उठाना चाहा हमने भी जब जाम अपना
मुझे रोक के यार मेरे सारे शरीफ हो गए-
माना हो गईं है कोई खता मुझसे
माफ़ी मांग रहा हूं मैं न जाने कब से ।
कोई इरादा नहीं था मेरा तेरा दिल दुखाने की
पर अक्सर भूल हो जाती है सबसे ।।
कि अब न होगी कोई सितम तुझपे
करता हूं मैं ये वादा तुझे से ।
कर रहा हूं मैं ये फ़रियाद रब से
कि खफा न हो कभी मेरी जान मुझसे ।।-
समझ जाते हैं उन बातों को भी आसानी से ,
अक्सर जिन बातों में कोई आवाज़ नहीं होते ।
देख लेते हैं जब कभी वो मेरे मायूस चेहरा ,
कहते हैं कि यारों के बीच कोई राज़ नहीं होते ।।
बताना चाहूं तो भी कुछ दर्द होते हैं ऐसे ,
जिन्हें बयां करने के लिए कोई अल्फ़ाज़ नहीं होते ।।-
यूं तो खुशनुमा चल रही थी जिंदगी ,
ना जानें अचानक ऐसा क्या हो गया ।
कल तक तो उनका सबसे करीबी था ,
अब देखते देखते मैं अजनबी हो गया ।।
यूं तो मान जाते है अक्सर कुछ पल में ,
हालात ही कुछ ऐसा इस दफा हो गया ।
कोई तो खता हुई होगी मुझसे ही ,
कि वो इस कदर मुझसे खफा हो गया।।-
आज बहुत दिनों बाद एक पैगाम आया
पढ़ा जो संदेशा तो उसमें तेरा नाम आया
उसे पढ़कर कुछ इस्कदर सुकून मिला मुझे
जैसे कड़कती धुप के बाद खुशनुमा शाम आया-