कुछ बातें बतानी थी तुझे,
शायद तुझ तक मेरी बातें न पहुंचे
पर तू दिल में है तो भरोसा है सुनेगा जरूर!
लिख रही हूँ मैं अपनी बातें कागज के टुकड़े पे
बस तुझे ना लगे ये अधूरा।
इंतज़ार रहता था हमेशा, अगली फिल्म कब आ रहा है?
अब इंतजार करूँ तो करूँ कैसे और बता दे किसका?
तेरे नाम के आगे आज भी late लगाया नहीं जाता,
आखिर क्यों खुदा, किसी को वापस नहीं लाया जाता?
देख ना तेरी मुस्कान के हर जगह बड़े चर्चें हैं,
आखिर कुछ तो है जिसके लिए हम तड़प रहे हैं।
जो इमारत खूबसूरत लगने लगी है अब सबको,
वो तो तेज तूफानों में ना चाहते भी ढह गया।
कौन कहता है हमने खोया है तुझे,
बस अब तू साथ नहीं है हमारे!
यादों के और महल हमारे लिए खड़ा ना कर पाएगा,
मगर वादा है, हमारे दिल से कभी भुलाया ना जाएगा।
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❤️📝📷❤️
I'm #writer of my #innerwords ✍️
#dancing 💃 iz #love 4 me... read more
A mother is the one who fills our hearts in the first place.
A mother is the heartbeat in the home and without her there seems to be no heart throb.
A mother is one who gives love, affection, sacrament, blessing, anger and all except difficulties of her life.
A mother is "she" who can take the place of all others but whose place no one else can take.
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कि काश उस शादी में मैं कभी गई ही ना होती,
और उस दिन तेरी मेरी मुलाकात हुई ही ना होती!
काश तेरी निगाहें उस रोज मुझ पर टिकी ही ना होती,
और तेरे निगाहों के इशारों को मैं समझी ही ना होती!
काश तूने अपने दोस्तों के पास, अबे सालों ये भाभी है तेरी,
ये बोल , उनसे कभी मेरी introduce कराई ही ना होती!
काश तेरी उस बात पर 'अरे' बोल मुस्कुराने की जगह,
तुझे मैंने जोरों की डांट लगाई होती!
काश उस दिन बीच सड़क पर चलते हुए,
तूने मेरा हाथ पकड़ किनारे की ओर खींचा ना होता!
काश इस बात पर, 'पागल है क्या' यह बोल,
मुझे बड़े हक से उस दिन डांट लगाया ना होता!
काश कभी अपने अलफाजों में तेरे नाम का जिक्र ही ना करती,
और तुझे मैं अपने दोस्तों के महफ़िल में शामिल ही ना होने देती!
काश मैं तेरी उन झूठे प्यार भरी बातों में ना पड़ती,
अरे मोहब्बत का तो पता नहीं, मगर तुझे खुद की आदत ना बनाई होती!
काश मैं, मैं ही रहती और तू, तू ही रहता ,
ये हम वाला फासला कभी तय ही ना किया होता!
कि काश जिंदगी की राहों में तू मुझसे यूँ टकराया ना होता,
तू मेरे लिए आज भी एक अजनबी ही रहता!
काश!!
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मैं "सवेरा" बन गुरूर में बैठी रही,
वो "शाम" बन रोजाना ढलता रहा मेरे लिए !
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आज कलम भी साथ दे रही है और दिल भी बहुत कुछ कहना चाहता है,
वो मुझ पर सारे हक जता कर शादी किसी और से करना चाहता है,
वैसे तो घंटों-घंटों फोन पर बातें करता है वो मुझसे,
पर जान मैं घर आ रहा हूँ, खाना तैयार रखना,
ऐसा वो किसी और से कहना चाहता है!
वो शादी के सपने मुझे दिखा, सात फेरों के बंधन में किसी और संग बंधना चाहता है!
वो वादे तो बेहिसाब करता है मुझसे,
मगर उन वादों को किसी ओर के साथ निभाना चाहता है!
कि शादी की बात करुं तो बात घुमाना चाहता है,
दुनिया भर की दलीलें देकर मुझे शादी की बातों से दूर रखना चाहता है!
बीच रास्ते में मुझे छोड़ कर,
सुना है अपनी मंजिल तक किसी और को ले जाना चाहता है!
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वो बेवजह लड़ना मेरा, वो बेबाकी से बात करना मेरा
वो बिन मतलब अकड़ना मेरा, वो मॉडर्न कपड़े पहनना मेरा,
कि तू कहता था इन्हीं सब मेरी बातों ने दिल चुरा लिया तेरा
तू कहता था मेरे बिन ना रह पाएगा, जो मैं छोड़ गयी तो मर जाएगा,
तो सुनो जाना जब प्यार बेशुमार था, तो क्यों तुझे शादी से इंकार था!
कि कभी जो अदाएं लुभाती थी तुझे, उन्हीं अदाओं का हवाला दे किया तुने मुझे इंकार था,
अपने दोस्तों के पास 'तेरी मॉडर्न भाभी' है , कह खुद पर करते गुमान थे,
पर शादी के लिए तुझे नहीं लगता था कि सही मेरे संस्कार थे,
तुझे लगता था रिश्ते, जिम्मेदारियां नहीं संभाल पाती मैं,
कि शादी के लिए तुझे घरेलू लड़की की दरकार था!
कि ये कुंडलियों का मिलन, ये दुनियादारी, कल तक तो बेकार थी सारी
फिर क्या हुआ था तुझे अचानक, जो लगने लगी थी सबकुछ प्यारी
उस वक्त ना कुंडलियाँ मिलवाई तुमने , ना माँ-बाप की याद दिलवाई तुमने
जब मिलने मुझसे आते थे, मुझे देख इतराते थे, बस प्यार की रट लगाते थे!
कि यूँ बहाने ना बनाते, यूँ अचानक मेरी कमियाँ ना गिनवाते
नहीं आता था कुछ तो मैं सीख जाती, क्या करना था बोलते तो , शायद मैं कर जाती
जो भर चला था मन, तो नजरें मिला बोल तो देते, यूँ समाज की आड़ में मुझ पर वार ना करते ,
कि जीत लेती मैं सबका मन, अपनी मोहब्बत पर ऐतबार तो करते,
अरे मैं तेरी पसंद थी, अपनी पसंद पर थोड़ा सा नाज तो कर लेते!
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कुछ लम्हें ना तो भुलाया जा सकता है
और ना ही उसे फिर से जिया जा सकता है,
बल्कि उन लमहों को तो मन ही मन सोचकर
होठों से बिन मतलब मुस्कुराया और
आंखों से कुछ बूंदें अश्कों के गिराया जा सकता है!
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जब आसूंओ की छीटें मेरी आँखों में पाया वो,
उसे लगा मुझसे दूर रह खुश रह लेगा वो,
मगर मुझे टूटता देख आखिर
कैसे खुद को संभाल पाता वो,
साथ छूटता देख गले लगा
हां आज खूब रोया है वो!-
मुझे लगता था, वो मुझे खोने से डरता है,
मगर मैं ही थी पागल
वो तो commitment के नाम से डरता है।
मुझे लगता था, ना होगा उस जैसा कोई प्यार करने वाला,
मगर मैं ही थी पागल
वो तो अब हर बात से इंकार करता है।
मुझे लगता था, वो मुझे देखने को तड़पता है,
मगर मैं ही थी पागल
वो तो ना मिलने के बहाने ढूंढा करता है।
मुझे लगता था, वो मेरे रूह में बसने की चाह रखता है,
मगर मैं ही थी पागल
वो तो केवल जिस्मों की बात करता है।
मुझे लगता था, उसकी कभी ना छूटने वाली आदत हूँ मैं,
अरे मैं ही थी पागल
वो तो अब मुझसे दूर रहकर ही खुश रहा करता है।
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दीवाली रोशनी का त्यौहार है, दीयों की ज्वाला तक ही सीमित रहने दो ना,
पटाखों के प्रतिबंध पर इतना तुम मत तिल मिलाओ ना,
मत कहते फिरो ना एक दिन के पटाखे से प्रदूषण कैसे?
कभी तो बिन सवाल किए, प्रदूषण नियंत्रण में सहयोग बढ़ाओ ना।
पटाखे खरीद, अपने बच्चों के जिद्द आबाद कर,
आने वाली पीढ़ियों का जीवन धूमधाम से बर्बाद मत करो ना,
अरे पटाखे जला कर, पैसों में आग लगाने से अच्छा,
सीधे ही पैसों में आग लगाओ ना।
पटाखों के पैसों से, गरीब के लिए कुछ खरीद उन्हें दे आओ ना,
पटाखों के चकाचौंध रोशनी के बजाय,
माटी के दीयों से घर मोहल्ला जगमग कराओ ना,
हमारी धरती को मिल-जुल कर बचा, बिन पटाखे ही दीवाली मनाओ ना ।
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