काश यह दिल अपनी इख्तियार में होता,
ना किसी की याद आती और ना किसी से प्यार होता।!-
थे खुबसूरत चेहरे और भी महफ़िल में,
हमने उन्हें देखा ही नहीं।
सुना था लोग बेवफ़ा होते हैं,
तुम्हें कभी लोगों में गिना ही नहीं।-
हमेशा हंसाने वाली औलाद भी आज खामोश हैं,
हर रोज पैसे उड़ाने वाली बेटी को पाई पाई का ध्यान हैं,
सबके पसंद और जरूरत का खयाल रखने वाला,
हस्पताल में परा वो इस परिवार का बाँप हैं।-
मजबूरियां सब करा देती हैं,
चूल्हे की पहली रोटी खाने की,
ज़िद्द करने वाली अब आख़िरी खाती हैं।-
पहले तुम्हें पाना चाहती थी,
अब तुम्हारी होना चाहती हुं,
पहले कविता पढ़ती थी,
अब तुम पर लिखना चाहती हूं।-
काश: मैं कह पाती तुमसे वो,
जो तुमने कभी सुना नहीं,
या फ़िर मैंने अब तक कहां ही नहीं।-
तो क्या हुआ अगर मांगती हूं उसे अल्लाह से,
और वो मुझे राम से,
दुनिया तो बनाई एक ने हिं है बस बट गया है
धर्मों में नाम से।-
और भी कई तरीके होंगे इश्क मुकम्मल करने के,
हमें तो बस एक ही आता है,
जब भी नमाज की दुआ करूं,
लबों पर नाम जनाब का ही आता है।-
Kalam apni hum phle v chla rhe the,
Log shayar tb v kh rhe the,
Abb kalam se mohabbat likh rhe h,likhne ki wjh janab de rhe h,
Aur log hume ashiqana shayar kh rhe h!-
kisi aur ki pasand ki ab hairstyle rakhoge,
Janu babu kh kr kisi aur ko bulaya
Karoge,
Apne hatho se kisi aur ke jhulf
Sehlaoge,
Mujhe chod kr jo tum jaoge bara
Pachtaoge.
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