कभी दुसरो को देखा है दुसरो के कांधे पे,
तो कभी अपनो को देखा है खुद के कांधे पे
जनाजा इक हिस्सा है रोजाना जिंदगी का,
कभी शक्स का उठता है तो कभी शक्सीयत का
कभी ख्वाबो का तो कभी खयालो का...
जिंदगी ना ही कभी बेदाग थी न कभी रहेगी
मौत ना कभी पराई थी न ही हमेशा रहेगी
जाना तो है हर एक को किसी के कांधे पे,
फिर वो कोई अपना हो या कोई पराया ही,
लेकीन हमेशा जनाजा उठता जरुर है
सच्चे सवालो औ सच्चे जवाबो का... !
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