गुजरते वक्त और बढ़ती उम्र के साथ, मैं एकांत हो रहा हूं,
भीतर मेरे शोर है बड़ा, पर बाहर से मैं शांत हो रहा हूं ।-
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बीता हुआ कल नही तो क्या, आने वाला कल तो है, ये फुरसत के पल नही तो क्या, पल तो हैं ।
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कहीं तो करते होंगे, अपने बीते वक्त की बातें वो,
कहीं तो आता होगा, मेरा नाम भी किसी किस्से में ।-
दर्द भरी इन राहों पर भी, अजीब सा मजा आने लगा है,
रास्तों से दोस्ती कर बैठा हूं, अब ये सफर भी भाने लगा है।-
भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है, ये तो समय बताएगा,
कर रहे तुम खिलाफत जिसकी, मत सोचना वो काम तुम्हारे आएगा ।-
वो वक्त की पाबंद थी, मैं तूफानों सा बेवक्त था,
वो चाहती थी मैं उजड जाऊं, पर मैं लड़का बड़ा सख्त था ।
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कौन जाने कुदरत की, कैसी ये रुसवाई है,
खिलखिलाते चेहरों पर, जो ये मायूसी छाई है,
मन में सबके डर सा है, और जान पर बन आई है,
कुछ तो गलत किया हमने भी, जो ये आपदा आई है,
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आजकल आंखों में नमी सी है, लग रहा है किसी की कमी सी है,
है उम्मीद लौट कर आएगा कोई, भीगी हुई इन पलकों को हसाएगा कोई ।-
हसती हुईं आंखों में, टूटे हुए मंजर हैं,
बाहर से दिखे आबाद सब, अंदर से सब बंजर है ।-
अल्फाजों में जो हो न बयां, वो जज्बात भारी है,
न चाह कर भी आ रही है जो, वो याद तुम्हारी है ।-