दौर आता नहीं, जाता भी नहीं है जिसकाकोई वो बात चलाता है तो हँस लेता हूँ..दिल की गहरी सी गली से जो गुजरे नग़मे जब कोई रोज़ सुनाता है तो हँस लेता हूँ.. -
दौर आता नहीं, जाता भी नहीं है जिसकाकोई वो बात चलाता है तो हँस लेता हूँ..दिल की गहरी सी गली से जो गुजरे नग़मे जब कोई रोज़ सुनाता है तो हँस लेता हूँ..
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..है शहर वही, ये गली नईमुझे याद हो के न याद होतेरे हाथ में मेरा हाथ है,तुझे याद हो के न याद हो.. -
..है शहर वही, ये गली नईमुझे याद हो के न याद होतेरे हाथ में मेरा हाथ है,तुझे याद हो के न याद हो..
उद्धव जी से गोप कुमारियों ने कहा था, 'ऊधो! मन नाहीं दस बीस..।' मगर आजकल मन दस-बीस क्या पचास भी हों तो अचरज की बात नहीं। बस चिन्ता यह है कि 'मनों' के ऐसे ढेर में मनुष्य नहीं मिल रहा है.. -
उद्धव जी से गोप कुमारियों ने कहा था, 'ऊधो! मन नाहीं दस बीस..।' मगर आजकल मन दस-बीस क्या पचास भी हों तो अचरज की बात नहीं। बस चिन्ता यह है कि 'मनों' के ऐसे ढेर में मनुष्य नहीं मिल रहा है..
संसृति के नीरव कोने से चाँदी के गगन हिंडोले से हौले से झाँक कोई जाता ... मैं सो पाता मन के रिसते अवसादों कोपीड़ा के खुलते धागों को करुणा से बाँध कोई जाता ... तो सो पाता सुषमा को देकर स्पर्श कोईऊष्मा दे जाता पुनः यदि जीवन को मुक्ति कर जाता ... मैं सो पाता -
संसृति के नीरव कोने से चाँदी के गगन हिंडोले से हौले से झाँक कोई जाता ... मैं सो पाता मन के रिसते अवसादों कोपीड़ा के खुलते धागों को करुणा से बाँध कोई जाता ... तो सो पाता सुषमा को देकर स्पर्श कोईऊष्मा दे जाता पुनः यदि जीवन को मुक्ति कर जाता ... मैं सो पाता
नैना..बिन देखे भर आएँदेखें तो भर जाएँ जागे देखें जग को नैना.. सोए देखें सब को बोलें तो कह जाएँ चुप हों तो कह जाएँ, नैना.. -
नैना..बिन देखे भर आएँदेखें तो भर जाएँ जागे देखें जग को नैना.. सोए देखें सब को बोलें तो कह जाएँ चुप हों तो कह जाएँ, नैना..
...कोई कितना भी नगण्य हो, अंश तो है ही महत् का।इतना बहुत है उस विराट के आस्वादन के लिए! -
...कोई कितना भी नगण्य हो, अंश तो है ही महत् का।इतना बहुत है उस विराट के आस्वादन के लिए!
लिखेगा क्या कोई किस्सा मेरे अफसाने काहरेक रात सियाही लिए आती तो हैकहे-सुनेगा कोई क्या खामोश दिल की जुबांहरेक रोज़ कोई आवाज आती तो है. -
लिखेगा क्या कोई किस्सा मेरे अफसाने काहरेक रात सियाही लिए आती तो हैकहे-सुनेगा कोई क्या खामोश दिल की जुबांहरेक रोज़ कोई आवाज आती तो है.
अच्छा, जो स्वयं तपे वही तपा सकता है - जैसे सूर्य। हाँ तभी... चाँद और उसके लिए मचल उठने वाले तड़प भले ही लें, तप नहीं पाते!! -
अच्छा, जो स्वयं तपे वही तपा सकता है - जैसे सूर्य। हाँ तभी... चाँद और उसके लिए मचल उठने वाले तड़प भले ही लें, तप नहीं पाते!!
...मौसमों के बदल जाने से फिज़ा बदलती है, मगर आसमान नहीं। तो आसमान कब बदलता है?- आसमान बदलने के लिए पहले जमीन बदलनी होगी! -
...मौसमों के बदल जाने से फिज़ा बदलती है, मगर आसमान नहीं। तो आसमान कब बदलता है?- आसमान बदलने के लिए पहले जमीन बदलनी होगी!
मैं नगण्य..इस ओर से उस छोर तक यात्राा में उलझा कण सहीभव तो क्या..अर्णव हृदय का मैं पार कर पाता नहीं! -
मैं नगण्य..इस ओर से उस छोर तक यात्राा में उलझा कण सहीभव तो क्या..अर्णव हृदय का मैं पार कर पाता नहीं!