नज़र नज़र की बात है,
कोई नज़र में आकार दिल में उतर जाता है,
तो कोई नज़र में आकार दिल से उतर जाता है....-
Stand-up comedy
Short films on the topics of real life
फिर तनहाई कि चादर ने घेरा हमकों,
फिर ओर किस्से झूठे सुनाये हमनें।।-
किसी ने जिस्म नोच लिया मेरा,
दिल मांग कर,
हम भी लुटते रहे मोहब्बत में,
उनको ख़ुदा जानकर।।।।।-
और चांद सितारों की बात,
अब मत कर,
हिस्से में तेरे ,
अंधियारी रात ही आयी है।
ग़ौर से देख खुद को,
तु बस मायुसी की स्याही है,
फ़िकर कर अब खुद की
तु अकेला ही खड़ा है,
जो साथ चला था तेरे,
वो बहोत दुर खड़ा है,
और कब तक,
यूं ही भटकेंगा तु,
कुछ खोज ख़बर है,
मंजिल पे कब तक पहोचेगा तु।।।।।।।
-
मुश्किलों से तु कब डरा है,
ये जिवन पथ तेरा है,
तु चल निड़र,
तु जानता है, जित क्या है,
तो निराश क्यू खड़ा है
प्रयास कर,
हार कर भी तु कब रुका है,
लगा हुंकार ऐलान कर,
बांध कर तु हार सारी,
रथ जित का तैयार कर,
कोशिशों की सेना से तु,
महेनतो का वार कर,
मुश्किलों का नाश कर,
जित कर तु जंग सारी,
आसमानों में अपना नाम कर।।।।।।
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दिल लगाने को है ही कौन ,
उसके सिवा,
तुटे दिल को समेट कर ,
फिर उसी के दर पर चला जाता हूं ,
ठोकर खाने।।।।-
आसमान में है चांद,
तुम ज़मीं में देखते हो,
जैसी बातें करते हो तुम
आशिक लगते हो,
कहानियां तुमने ज्यादा पढ़ी है
इश्क की,
पर मोहब्बत से नावाकिफ लगते हो,
जैसी बातें तुम करते हो,
बरखुरदार,
नये आशिक लगते हो।।।।-
यु बरसती है बुंदे जिस्म पर आसमान से,
ये जिस्म सिहरने लगता है,
आहट जो तेरी पा ले ये दिल,
तो मचलने लगता है,
जो तुम हो नजदीक मेरे,
तो समा महेकने लगता है,
मेरी सांसों से जो टकराती है,
तेरी सांसें,
तो ये दिल बिन पिए बहकने लगता है।।।-
थोड़ा आज, थोड़ा कल लगेगा,
मुश्किल है, पर होगा ज़रूर,
थोड़ा वक्त लगेगा,
थोड़ा सपने डरायेगे,
थोड़े क़दम लड़खड़ायेगे,
तुम गिरना बेशक पर रूकना नहीं,
मंजिल पर पहोंचे बिना झुकना नहीं,
तुम्हारे सपने ही तुमको एक दिन आसमान दिलायेंगे,
थोड़े आज की ,
थोड़े कल की,
महेनत को मिलाकर,
हर मुश्किल को आसान बनायेंगे।।।।-
हर बात सबसे कहें भी तो नहीं पाता हूं,
युहि थोड़ी आदमी कहें लाता हूं,
दर्द में ऐसे ही थोड़ी मुस्कुराता हूं,
तकलिफे होने पर भी सब सहे जाता हूं,
युहि थोड़ी ना आदमी कहें लाता हूं
बचपन में सबकी डांट,
जवानी में सबके ताने,
युहि थोड़ी ना सहे जाता हूं,
वक्त आते ही सारी जिम्मेदारियां महेनत से निभाता हूं,
युही थोड़ी ना आदमी कहें लाता हूं,
अक्सर अपनी खुशियों का इजहार नहीं कर पाता हूं,
किसी कि फिक्र हो ज्यादा,
तो बात बात पर गुस्सा हो जाता हूं,
बेशुमार प्यार अपने दिल में ही समाये रहे जाता हूं,
यु ही थोड़ी ना आदमी कहें लाता हूं।।।।।-