अच्छा!! तो चिड़िया पसंद हैं तुम्हें
पर उड़ती हुई नहीं,
उड़ती चिड़ियों को कैद करना पसंद है तुम्हें
पर बिना पर वाले पक्षी नहीं,
उनके पर कतर के कैद कर देना पसंद है तुम्हें
प्यार से दाने दे कर अपना बना लेना नहीं,
क्यूॅं?????
क्यूंकि सीखा ही नहीं तुमने कभी प्यार से अपनाना,
क्यूंकि सिखाया ही नहीं कभी किसी ने पूरी तरह अपना बनाना,
क्यूंकि बनाया ही नहीं कभी तुमने खुद को अपना,
इसलिए पसंद है तुम्हें उड़ती चिड़िया के पर कतरना,
अपनापन सा लगता है तुम्हें....
क्यूंकि यही हुआ है तुम्हारे साथ जीवन भर,
फिर भी, कुछ और चुन सकते हो तुम
जैसे उड़ती चिड़िया को देखकर ही खुश हो लेना,
जैसे उसे कैद देख कर खुद को आज़ाद कर देना,
जैसे उसके पर कतरते देख ख़ुद के साथ हुई नाइंसाफी याद कर उससे बाहर निकलना,
और बहुत कुछ चुन सकते हो तुम।
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