अजीब दास्ताँ है मेरी मोहोबत की
कभी लगता है , उनके दिल में
किसी कोने में तो मैं रहता हूँ
तो कभी कभी ये महसूस करता हूँ
मानो वो मुझे पहचानते ही नहीं
कभी मुस्कान रुकती ही नहीं
तो कभी कभी आँसुओ में बहता हूँ
वो तो रहते है हर पल
मेरे दिल-ओ- जहन में
और ख़ुद जाने कहाँ में रहता हूँ
मगर जो भी है ,अच्छा या बुरा
पल पल, हर पल मैं
उनके नाम के सरूर में रहता हूँ
-