Mandeep Kumar   (Mandeep Kumar)
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Joined 25 April 2018


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Joined 25 April 2018
31 DEC 2021 AT 21:06

ये जो गुजरा साल रहा हैं ।
बस जिंदगी का ख्याल रहा हैं ।

कुछ किस्मत, कुछ खता थी हमारी ।
हवा मे डर था, मन में मलाल रहा हैं ।

जंग थी तो लड़नी भी जरुरी थी ।
वक्त मुश्किल था जवाब बेमिसाल रहा हैं ।

माना मजबूरियों का सैलाब था ।
मगर हौंसला भी हमारा कमाल रहा हैं ।

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21 OCT 2021 AT 21:32

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2 OCT 2021 AT 21:58

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23 SEP 2021 AT 22:46

तेरी आंखो में जो थोड़ी सी शरारत है ।
मुझे इसी शरारत से झूठी सी शिकायत है ।

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18 SEP 2021 AT 12:47

शहर, समन्दर और सियासत अपनी हद से गुजर रहे हैं ।
इनकी जद में आए वो तिनकों की मानिंद बिखर रहे हैं ।

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30 JUN 2021 AT 21:36

क्यों रखता है चाहतें तुम मुझ को बदलने की ।
कभी कोशिश तो कर तू साथ चलने की ।

सूरज न जाने क्यों हर रोज निकल पड़ता हैं ।
मुझे आदत नहीं है यूं उम्र भर जलने की ।

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18 JUN 2021 AT 22:01

मोहब्बत के जलवों को ना इनायत की जरूरत है ।
ना शिकवों की जरूरत है ना शिकायत की जरूरत है ।

दिल तो वो है जो दरिया को भी समेटे बैठा है ।
इश्क में ना किसी किफायत की जरूरत है ।

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8 JUN 2021 AT 14:21

मेरे दिल ने चाहा जिसे दिलदार बना कर ।
वो छोड़ गया अब मुझे बेकार बना कर ।

यकीन कैसे हो इन हालातों में किसी का ।
यहां दगा भी देते हैं लोग यार बना कर ।

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6 JUN 2021 AT 16:44

जब कभी भी हम उसूल की बात करते हैं ।
सब कहते है क्यों फिजूल की बात करते हैं ।

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22 APR 2021 AT 20:51

The NEGATIVE is,

New POSITIVE.

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