Manav Katheriya   (मानव कठेरिया 'बर्लिन')
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Joined 3 April 2018


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4 APR AT 11:22

मुझे तुमसे मुझ जैसी बातें करनी हैं..
बिना कुछ सोचे समझे..
बिना आंखे चुराए..
बिना हिचकिचाएं..
बिना लड़खड़ाए..
बिना किसी जल्दबाजी के..
बिना किसी भी बैर के..
बिना किसी भी शोर के..

बस बातें हों और बस बातें हो.
जहां तुम मुझमें खो जाओ..
मैं भी तुममें लीन हो जाऊं..
प्यार भरी, नोंकझोंक भरी..
बस बातें हो और बातें हो..

रसमलाई सी मीठी..
मिर्ची से भी तीखी..
फूलों सी खुशबू हो..
चांद सी ठंडक हो..
पक्षियों सा कलरव हो..
चूड़ियों की खनखन हो..
पाजेब की झमझम हो..
बारिश की रिमझिम हो..
चाय सी कड़क हो..
बात करने की तड़प हो..


इतना भी मुश्किल नहीं है मुझसे बातें करना..
इतना भी मुश्किल नहीं है मुझको समझना..
बस तुम कर सको तो कर लो मुझसे बात..
क्योंकि, मुझे तुमसे मुझ जैसी बातें करनी हैं..

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2 APR AT 20:56

प्यार करता हूं, तुमसे ही प्यार करूंगा..
मैं तेरी किसी बात पर ऐतबार न करूंगी..
तेरे बिना जीना मुश्किल सा लगता है..
तू ज्यादा बोलेगा तो मैं सुसाइड कर लूंगी..
"THE END"

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21 MAR AT 23:10

हीरे मोती मैं न चाहूं..
मैं तो चाहूं Notification तेरा..
सैंया, सैंया...
तू जो कर दे Message तो, पढ़कर मैं मुस्काऊं..
पढ़ते पढ़ते Message को, तेरी यादों में खो जाऊं..
तुझ में ही मैं खो जाऊं..

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16 MAR AT 10:33

मैं हंसी लिखूं..
तुम अपने होंठो की मुस्कान समझना..

मैं आंसू लिखूं..
तुम मेरे दिल ए जज्बात समझना..

मैं जीवन लिखूं..
तुम अपना साथ समझना..

मैं सुकून लिखूं..
तो तुम अपने हाथों में मेरा हाथ समझना..

मैं दिन लिखूं..
तुम अपने चेहरे की चमक समझना..

मैं रात लिखूं..
तो तुम खुद को मेरा ख्वाब समझना..

मैं मोहब्बत लिखूं..
तो तुम मेरे दिल पर अपना राज समझना..

मैं हम लिखूं..
तो तुम खुद को सिर्फ मेरा समझना..

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4 MAR AT 11:56

सुबह की सहर में, रात के अंधेरे में..
तुम याद आती हो मां..

छोटी सी खुशी में, सदियों से गम में.
तुम याद आती हो मां..

लाखों की भीड़ में, मानव की तन्हाई में..
तुम याद आती हो मां..

जब दिल की बात कहनी हो..
अपनी पीड़ा सुनानी हो..
नींद की तलाश में, जब गोद तुम्हारी हो..
बस तुम और तुम याद आती हो मां..

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3 MAR AT 2:56

दिल करता है शाम ढले, मैं मर जाऊं..
ऐसी कोई बात लगे, मैं मर जाऊं..

तू जिसके प्यार में पागल है..
उसको मेरी उम्र लगे, मैं मर जाऊं..

खुशियां हो, रौनक हो इस जहां में..
मैं तुझको तन्हा देखूं, मैं मर जाऊं..

बुरा तो हूं ही मैं हर इक कहानी में..
मेरे किरदार को तेरी आह लगे, मैं मर जाऊं..

मैं तो तेरे प्यार की खातिर जिंदा हूं..
तुझको "तेरा" प्यार मिले, मैं मर जाऊं..

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18 FEB AT 22:43

तुम्हारे ख्यालों में डूबना उतना ही पवित्र है..
जैसे कुंभ में डुबकी लगाना..

तुम्हारे प्रति मेरा मोह..
जैसे त्रिवेणी संगम का अथाह सुख पाना..

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17 FEB AT 13:33

तुम उस हसीन लम्हें की तरह हो..
जो एक क्षण को ही सही..
मेरे हृदय को संतृप्त कर देती हो..

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1 FEB AT 1:32

काली रात स्याह हो..
जब कोई न आसपास हो..
सुकून ए तलाश में जब अस्त व्यस्त हो मन..
दिमाग में कुछ चलता रहे और शून्य हो जाए मन
तब तुम, और बस तुम याद आती हो मां..

मन मेरा द्रवित हो.. हृदय मेरा व्यथित हो..
जब काटने को दौड़े बिस्तर..
चीखने, चिल्लाने लगे दीवारें..
आंखों से परे हो नींद..
तन में हो रही हो हलचल..
भटक जाए आचार विचारों में मन..
तब तुम, और बस तुम याद आती हो मां..

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25 JAN AT 14:51

मेरे कुंभ से जीवन में..
वो इलाहाबाद की तरह थी..
गंगा सी पावन थी वो..
यमुना सी निश्चल थी..
और सरस्वती सी वो मेरे जीवन से लुप्त हो गई..
कभी हमारा 'संगम' हो ही न सका..

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