Manav .   (The Manav.)
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तू बिन बताए मुझे ले चल कहीं जहाँ तू मुस्कुराए मेरी मंज़िल वहीं
Joined 4 February 2020


तू बिन बताए मुझे ले चल कहीं जहाँ तू मुस्कुराए मेरी मंज़िल वहीं
Joined 4 February 2020
22 AUG 2020 AT 22:58

तुमने मुझे हसाया था इसलिए हस लेता हूं
मैंने तुम्हे रुलाया था इसलिए मैं रो लेता हूं

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29 APR 2020 AT 22:42

मां तेरे सिवा मेरी कोई भी मन्नत नहीं
मां तू जहां कदम रखे मेरी जन्नत वहीं

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25 APR 2020 AT 17:26

तेरे आँसुओ के बदले मेरी साँसे कम हो जाए
मुझे मौत आ जाए लेकिन तुझे रोना न आए

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25 APR 2020 AT 10:23

एक एक लफ्ज मै कुछ यूं लिख रहा हूं
जैसे मेरे कल के लिए पल बटोर रहा हूं

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24 APR 2020 AT 21:30

मुझे जिसने हसना सिखाया था
उससे मिलने के बाद मै रोया था

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23 APR 2020 AT 12:14

सुरैया . ..

कहानी भाग 1
in the caption

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16 APR 2020 AT 11:44

कर्म जिवनवृक्ष के बीज हैं
जैसा बीज वैसा जिवनवृक्ष

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15 APR 2020 AT 1:02

वह मिली मुझे हर जनम किसी और की होकर
मैं भी उसकी राह तकता रहा खामोश ही रहकर

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10 APR 2020 AT 13:11

स्वप्न माझे साकारशील का ??
बेरंग स्वप्नात रंग भरशील का
पोरकेपणाच्या जिवंत भट्टीत
आतून बाहेरून होरपोळलोय
मला मायेची ऊब देशील का ???

मी रोज मांडतो खेळ विषाचा
रोजचाच हा लपंडाव मृत्यूशी
तू हो माझ्या जगण्याचा अर्थ
मा तुझ्याविना ग जगणे व्यर्थ
लेकराचे शब्द अमर करशील का ?

मोडून पडलं छत्र माय मायेचं
अनाथ लिहीतं जग कपाळावर
तू नसून असतांन्ना जीवनात मा
अनाथ म्हणतो मला समाज हा
त्या सर्वांशी लढण्याचं बळ देशील का ?
(मा स्वप्न माझे साकारशील का ?????)

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9 APR 2020 AT 13:00

धर्म वो नहीं जो अनेक समुदायों में बटा है !
धर्म तो वो है जो आज भी सृजन में लगा है।

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