ना तुम्हारी आँखें ठहरती है,
ना हमारी साँसें थमती है।
ना तुम्हारी पलकें झपकती है,
ना हमारी नज़र फिरती है।
ना तुम पीछे मुड़ते हो,
ना हम मदहोश खड़े रहते है।
ना तुम्हारी आने की फ़रियाद आती है,
ना हम आस लगाये इंतजार करते है।
ना तुम्हारी आहट तक आती है,
ना हमारी रातों की नींद उड़ती है।
ना तुम उम्मीद की रोशनी थामते हो,
ना यहाँ अँधियारों के साये मिटते है।
एक चित्र सुना है...
कई पन्नो की कहानी सुनानी है...
एक शून्य सा घेरा है...
कई लम्हों की याद सजानी है...
तुम एक नज़र दर्शन तो दो,
एक जीवन अधूरा पड़ा है...
-