'मायभूमी' आईच्या हातच्या भाकरी इतकीच प्रिय आणि गोड आहे..
हे राज्याबाहेर किंवा देशाबाहेर गेल्यावर कळते.-
Manaspoonya
(©मानससूत्र™2022)
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मी वाकडी वाट आणि घाट आयुष्याचा,
तू उज्वल पहाट आणि थाट माधुर्याचा।
मी हिमनगांवर वाढलेला निवडु... read more
तू उज्वल पहाट आणि थाट माधुर्याचा।
मी हिमनगांवर वाढलेला निवडु... read more
Joined 28 March 2018
1 MAY 2022 AT 10:07
27 JAN 2022 AT 20:58
नहीं हैं पाँव के नीचे ज़मीन,
मग़र अम्बर पर तारे टाँगता हूँ;
मुनासिब जो लगें वो देना प्रभू..
मेरा क्या मैं कुछ भी माँगता हूँ..!
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21 JAN 2022 AT 19:13
जितना दीया कन्हैया.. उतनी तो मेरी औकात नहीं..
यह तो कृपा हैं प्रभू आपकी..नहीं तो मुझमें ऐसी बात नहीं।।-
24 NOV 2021 AT 16:53
जितना चुभने लगा हूँ सबको छुरा तो नहीं हूँ मैं।
जानी जितना बताती हो सबको इतना बुरा तो नहीं हूँ मैं।-
24 NOV 2021 AT 16:50
कभी कभी ऐसा लगता हैं कि परमात्मा भी मेरे साथ नहीं हैं।
दुनिया में इससे ज्यादा अकेलापन क्या हो सकता हैं..।-
11 NOV 2021 AT 19:44
एक और एक मिलकर दो हुवा तो यह हुवा गणित..
एक और एक मिलकर एक ही रहा तो यह हुवा प्रेम..!
💐जय श्रीकृष्ण!💐-
17 OCT 2021 AT 12:35
जीवन की किसी भी विपत्ति में ''कृष्ण'' स्मरण अवश्य करें, वो जरूर आयेंगे!!
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