Manaspoonya   (©मानससूत्र™2022)
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Joined 28 March 2018


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1 MAY 2022 AT 10:07

'मायभूमी' आईच्या हातच्या भाकरी इतकीच प्रिय आणि गोड आहे..
हे राज्याबाहेर किंवा देशाबाहेर गेल्यावर कळते.

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1 MAY 2022 AT 10:05

राह में धूप थी इसलिए पांव तेज़ भागे;
छांव होती तो सो गया होता...

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27 JAN 2022 AT 21:02

@मानससूत्र

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27 JAN 2022 AT 20:58

नहीं हैं पाँव के नीचे ज़मीन,
मग़र अम्बर पर तारे टाँगता हूँ;

मुनासिब जो लगें वो देना प्रभू..

मेरा क्या मैं कुछ भी माँगता हूँ..!

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21 JAN 2022 AT 19:13

जितना दीया कन्हैया.. उतनी तो मेरी औकात नहीं..
यह तो कृपा हैं प्रभू आपकी..नहीं तो मुझमें ऐसी बात नहीं।।

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28 NOV 2021 AT 13:20

ढ़ोंग हमारा मानसिक उबाल हैं।
और सच्चाई मन का तलछट हैं..।

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24 NOV 2021 AT 16:53

जितना चुभने लगा हूँ सबको छुरा तो नहीं हूँ मैं।

जानी जितना बताती हो सबको इतना बुरा तो नहीं हूँ मैं।

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24 NOV 2021 AT 16:50

कभी कभी ऐसा लगता हैं कि परमात्मा भी मेरे साथ नहीं हैं।
दुनिया में इससे ज्यादा अकेलापन क्या हो सकता हैं..।

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11 NOV 2021 AT 19:44

एक और एक मिलकर दो हुवा तो यह हुवा गणित..
एक और एक मिलकर एक ही रहा तो यह हुवा प्रेम..!

💐जय श्रीकृष्ण!💐

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17 OCT 2021 AT 12:35

जीवन की किसी भी विपत्ति में ''कृष्ण'' स्मरण अवश्य करें, वो जरूर आयेंगे!!

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