manan pandya  
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Joined 19 October 2022


Joined 19 October 2022
21 APR 2023 AT 5:01

किं किं न सविता सूते काले सम्यगुपासितः ।
आयुरारोग्यमैश्वर्यं वसूनि स पशूंस्तथा ॥ मित्रपुत्रकलत्राणि क्षेत्राणि विविधानि च। भोगानविधांश्चापि स्वर्ग चाप्यपवर्गकम् ॥"
(स्कन्दपुराण, काशी खण्ड ९ । ४७-४८)

जो मनुष्य सूर्य को यथा समय सम्यक् प्रकार से उपासना करते हैं, उन्हें वे क्या-क्या नहीं देते ? वे अपने उपासकों को दीर्घायु, आरोग्य, ऐश्वर्य, धन, पशु, मित्र, पुत्र, कलत्र, विविध भूमियाँ, आठ प्रकार के भोग, स्वर्ग और अपवर्ग (मोक्ष) प्रदान करते हैं। ऐसे सूर्य की उपासना सावित्री मंत्र के द्वारा अनादिकाल से ब्राह्मणों द्वारा होती चली आ रही है। ऐसे ब्राह्मणों को मेरा नमस्कार !

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12 NOV 2022 AT 23:42

कृष्ण प्रेम
भगवान हमारी वस्तु के भूखे नहीं
है, वे तो दुनिया को खिला रहे हैं।
तो वे हमारी वस्तु क्यों ग्रहण
करेंगे? वे हमारी वस्तु इसलिए
ग्रहण करेंगे क्योंकि वे प्रेम के भूखे
हैं। अगर भक्त प्रेम से छिलके भी
खिलायेगा तो वे उसे ग्रहण करेंगे।
जैसे भगवान ने दुर्योधन के छप्पन
भोग को त्याग कर विदुरानी के
छिलके खाए। भगवान को *भाव ग्राही जनार्दन:* भी कहा जाता है।
इसलिए हमें भगवान की सेवा
औपचारिकता के लिए नहीं अपितु
भाव से करना चाहिए।

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11 NOV 2022 AT 19:57

धन
एक आदमी ने गुरू नानक से
पूछाः मैं इतना गरीब क्यों हूँ? गुरू
नानक ने कहा तुम गरीब हो क्योंकि
तुमने देना नहीं सीखा... आदमी ने
कहा: परन्तु मेरे पास तो देने के लिए कुछ भी नहीं है
गुरू नानक ने कहा तुम्हारा चेहरा, एक मुस्कान दे
सकता है... तुम्हारा मुँह, किसी की प्रशंसा कर सकता
है या दूसरों को सुकून पहुंचाने के लिए दो मीठे बोल
बोल सकता है... तुम्हारे हाथ, किसी ज़रूरतमंद की
सहायता कर सकते हैं... और तुम कहते हो तुम्हारे
पास देने के लिए कुछ भी नहीं... ।। आत्मा की गरीबी
ही वास्तविक गरीबी है... पाने का हक उसी को है...
जो देना जानता है।
- मनन पण्डया

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10 NOV 2022 AT 18:44

लघुकथा
एक आदमी रात को झोपड़ी में बैठकर एक छोटे से
दीये को जलाकर कोई शास्त्र पढ़ रहा था।
आधी रात बीत गई
जब वह थक गया तो फूंक मार कर उसने दीया बुझा
दिया ।
लेकिन वह यह देख कर हैरान हो गया कि जब तक
दीया जल रहा था, पूर्णिमा का चांद बाहर खड़ा रहा।
लेकिन जैसे ही दीया बुझ गया तो चांद की किरणें उस
कमरे में फैल गई।
वह आदमी बहुत हैरान हुआ यह देख कर कि एक छोटे
से दीए ने इतने बड़े चांद को बाहर रोक कर रखा।
इसी तरह हमने भी अपने जीवन में अहंकार के बहुत
छोटे-छोटे दीए जला रखे हैं जिसके कारण परमात्मा
का चांद बाहर ही खड़ा रह जाता है।
जबतक वाणी को विश्राम नहीं दोगे तबतक मन शांत
नहीं होगा ।
मन शांत होगा तभी ईश्वर की उपस्थिति
महसूस होगी।

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26 OCT 2022 AT 17:59

🌹अयं नवनव्यनविननूत्ननवनवाभिनवाब्दहायने एवञ्च नयनरम्यदीपावल्योत्सवे कं यदुनन्दनञ्च रघुनन्दनं विनिवेदयामि । भवन्तं प्रति एवञ्च भवत्परिजनं प्रति जीवनं उद्दीप्तदीप्तदीपान्वितनानानन्दानन्दशातसम्मदं च भवेदिति भन्दमाशास्ते ।

🌹 शुभदीपाली 🌹
🌹शुभवत्सरस्य शुभकामना 🌹

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26 OCT 2022 AT 17:56

𝑾𝒊𝒔𝒉𝒊𝒏𝒈 𝒚𝒐𝒖 𝒂𝒏𝒅 𝒚𝒐𝒖𝒓 𝒇𝒂𝒎𝒊𝒍𝒚 𝒂 𝒗𝒆𝒓𝒚 *𝑯𝒂𝒑𝒑𝒚 𝒏𝒆𝒘 𝒚𝒆𝒂𝒓*. 𝑶𝒏 𝒕𝒉𝒊𝒔 𝒃𝒆𝒂𝒖𝒕𝒊𝒇𝒖𝒍 𝒇𝒆𝒔𝒕𝒊𝒗𝒆 𝒐𝒄𝒄𝒂𝒔𝒊𝒐𝒏, 𝑰 𝒑𝒓𝒂𝒚 𝒇𝒐𝒓 𝒚𝒐𝒖𝒓 𝒉𝒆𝒂𝒍𝒕𝒉 𝒂𝒏𝒅 𝒉𝒂𝒑𝒑𝒊𝒏𝒆𝒔𝒔, 𝒔𝒖𝒄𝒄𝒆𝒔𝒔 𝒂𝒏𝒅 𝒑𝒓𝒐𝒔𝒑𝒆𝒓𝒊𝒕𝒚, 𝒈𝒍𝒐𝒓𝒚 𝒂𝒏𝒅 𝒋𝒐𝒚...
𝑴𝒂𝒚 𝒚𝒐𝒖 𝒂𝒓𝒆 𝒃𝒍𝒆𝒔𝒔𝒆𝒅 𝒘𝒊𝒕𝒉 𝒃𝒆𝒂𝒖𝒕𝒊𝒇𝒖𝒍𝒍 𝒎𝒐𝒎𝒆𝒏𝒕𝒔 𝒐𝒇 𝒄𝒆𝒍𝒆𝒃𝒓𝒂𝒕𝒊𝒐𝒏 𝒂𝒏𝒅 𝒍𝒂𝒖𝒈𝒉𝒕𝒆𝒓 𝒘𝒊𝒕𝒉 𝒚𝒐𝒖𝒓 𝒍𝒐𝒗𝒆𝒅 𝒐𝒏𝒆𝒔.
*𝑯𝒂𝒑𝒑𝒚 𝒏𝒆𝒘 𝒚𝒆𝒂𝒓*

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26 OCT 2022 AT 7:41

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