वह नारी है सम्मान को प्यारी है हर घर की दुलारी है पर फिर भी घर को ना वह प्यारी है सही माईना आता है उसको सही सब को सिखाती है । बेरंग होकर खुद सबको रंग दे जाती है सबके गुस्से को चुप से सह जाती है ना कुछ बोले ना कुछ कहे अपने काम करते जाती है अधूरा जीवन है उसका घर परिवार को वह सहलाती है वह और कोई नहीं इस धरती पर नारी जाती है