हाथ की रेखा नहीं .....
उँगलियों का साथ देख...
ना किस्मत अपनी जिस्म की राख देख
मर जा लाश की तरह या....
ख़ुद को तू सरे आम देख ...!?!?!-
Mamta yadav
#ymanu0463
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सलाह ख़ारिज कर दो....
वो अपमान की झलक दिखाती हैं..!!
समझदार व्यक्तित्व की तस्वीर को....
जो पहचान स्वयं कराती हैं...!?!-
Zindagi......
पत्थरों की रगड़ से निखर जाती हैं...
पर चोटिल हो जख्मों से खून बहुत बहाती हैं
रिश्ते कुछ.... मरहम बन जाते हैं....
रिश्तेदार...उन पर नमक खूब लगाते हैं...
एक बात तुम्हें बताते हैं.....
याद रखना ये ज़िन्दगी हैं....
जिसमें हर पल ख़ुद को सही
साबित करना एक जिम्मदारी भारी हैं......!!!!-
सिफ़ारिश क्या करें.....
वो ईद का चाँद हुए .....(2)
गुज़ारिश क्यों करें जनाब.....
आज वो हम पर मेहरबाँ हुए...!!!!-
ईंटो से ईंट जुड़ें तो
मकान बनते हैं...
जज्बातों का सीमेंट मिले तो
घर सजते हैं...
रंजिशों की तपिश दिखे तो ....
उसे हालात कहते हैं....
हालातों पर डटे जो...
उसे ही कामयाब इंसान कहते हैं...!!-
सिर्फ तुम थे
तुम हो
और तुम रहोगें.....
अपना क्या है
आज दुनिया में तो...
कल श्मशान में मिलेंगे...!!-
आजकल .....
यादों का संदूक नहीं बनता..
ये बार बार क्यों जता रहे थें....!!
परवाह, उम्मीद ,भरोसा और अपनापन...
सरे आम ........
वो कचरा पात्र समझा रहे थें...!!-
हौसलों की अफ़जाई में
उम्मीदों का पलड़ा भारी था...
तक़दीर क्या कहें...
वक़्त की गिनतियों में
जिंदगी को संभालना जारी था....!!!!!-
क़ीमत उन पलों की नहीं जो ....
तस्वीरों में बांध रहे थें..!!!
नीलामी तो उनकी होतीं हैं ...
जो जहन में उतारे जा रहे थें...!!-