𝓜𝓪𝓶𝓽𝓪 𝓢𝓲𝓷𝓰𝓱   (म𝓜ता 𝓜𝓪या ✍)
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Joined 5 April 2018


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जब मन में होगा छल तो कितना भी चढ़ा लो जल
न मिलेगा कोई फल न होगी किसी समस्या का हल

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आपकी उदासी की वज़ह भी ग़र कभी मैं रहूँ ...
भगवान करें, मैं न रहूँ

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औरतें बिकी तो कोठे पे बिठाई गई
मर्द बिके तो उनकी क़ीमत सर-ऐ-आम लगाई गई

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प्रेम में पड़ा पुरुष बच्चा बन जाता है
अपनी प्रेयसी में ढूंढता है इक माँ भी

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स्त्री को स्वतंत्र छोड़ दें तो...
वो विनाश करेगी या विकास ?

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हद से ज़्यादा वफ़ादारी
और अपनों कि अदाकारी से हम बर्बाद हुए

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जो मौन का मान नहीं करते
वो ये नहीं जानते कि शब्द उम्र का लिहाज़ नहीं करते

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अंधभक्त सिर्फ़ राम नाम जपते हैं
राम को आज तक नहीं जानते
सिर्फ़ राम-राम चिल्लाते हैं सब
उनके सिद्धांतों को नहीं मानते

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इक अच्छा मर्द हालात से लड़ते हैं
और इक बुरा मर्द अपनी बीवी से लड़ते हैं

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स्त्री का अधिकार किसी पर हो न हो
लेक़िन ख़ुद पर ज़रूर होना चाहिए

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