mamta malviya  
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छोटी सी कलम से दिल पर वार करती हूं,
दिल को छू जाये ऐसे नगमे इस्तियार करती हूं।
Joined 22 June 2019


छोटी सी कलम से दिल पर वार करती हूं,
दिल को छू जाये ऐसे नगमे इस्तियार करती हूं।
Joined 22 June 2019
24 AUG 2020 AT 11:03

मेरी खामोशी में भी
बहोत शोर मचाती बातें।
ताउम्र से बरकरार शिकायतें,
जब तुम्हारे आँखों के द्वारे
मन तक जाती है।

तब तुम्हारे चक्षु के
द्वारपाल रूपी पलकों पर
शुष्क बारिश की आभा शोभायमान
होती मैं हमेशा देखती हूँ,

तब एहसास होता लड़के भी,
ह्र्दयत पीड़ा से आघात होकर
पलको को झुका लिया करते है।

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Mamta malviya 'अनामिका'

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8 JUN 2020 AT 13:31

अधिकतर समाज को
बहु के रूप में ,
घर की लक्ष्मी
की तलाश कम
और वंश को आगे बढ़ाने
के लिए एक मशीन की
जरूरत ज्यादा होती है।

और अकस्मात अगर ये मशीन
काम नही करती,
तो वो
जब मर्जी चाहे
दूसरी मशीन ला सकते है।

ऐसी कुरूप मानसिकता
वाले लोगो ने ,
एक नारी के अस्तित्व को
मात्र एक मशीन ही बना दिया है।

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Mamta malviya 'अनामिका'




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7 JUN 2020 AT 7:48

फ़क़त इल्तज़ा है बस, एक तारो भरी रात की ;
जब गिन सकूँ तेरे चेहरे के तिल ,तारो के जैसे।

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Mamta malviya 'अनामिका'

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31 MAY 2020 AT 10:48

अपनी संतानों से अपमानित ,
हुए माँ- बाप का दुःख ;

सन्तान विहीन ,
माँ - बाप से अधिक होता है ।

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Mamta malviya 'अनामिका'

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27 MAY 2020 AT 8:20

जिस दिन एक लड़की,
अपनी असल शक्ति को पहचान कर,
सिर्फ खुद पर भरोसा करना सीख जाती है।

अपने सपने और जिम्मेदारी के बोझ को,
अपने कन्धों पर लेकर ,
खुद के पैरों पर खड़ा होना सीख जाती है।

अपने आसुँ और हृदय में बसी
दया भावना को,
परिवर्तन की ज्वाला बनाना सीख जाती है।

जिस दिन वो अपने ऊपर
हुए अत्याचार के खिलाफ ,
आवाज उठाना सिख जाती है।

उस दिन वो ,हर उस तमाचे का जवाब दे जाती है।
जो उसे लड़की होने पर ,
इस समाज ने पग- पग पर लगाया है।

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Mamta malviya 'अनामिका'

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24 MAY 2020 AT 9:14

दिल करना उधेड़ दूँ,
इस खाल को ,अपने जिस्म से ;
जहाँ- जहाँ तुम्हारी छुवन है।

तुम्हारे स्पर्श ने नापाक कर दिया है,
मेरे अटूट प्रेम,विश्वास और इस देह को।

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Mamta malviya 'अनामिका'

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21 MAY 2020 AT 9:37

दुनियाँ की आधी से ज्यादा
समस्याओं का कारण है,
उन्हें समस्या समझना।

वरना यही उन्हें "परीक्षा का वक्त"
समझ कर धैर्य धारण किया जाए।

तो यकीनन हर मनुष्य अपनी
समस्या को अपने व्यक्तित्व सुधार का,
साधन बना सकता है।

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Mamta malviya 'अनामिका'

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18 MAY 2020 AT 7:52

एक पुरुष ने
अपना अधिकार समझ कर,
अपनी इच्छा अनुसार उसे
किसी को दान कर दिया।

तो दूसरे पुरुष ने
अपना अधिकार समझ कर,
अपनी इच्छानुसार उसका
उपभोग किया।

आखिर इस समाज ने
सदा स्त्री को,
अपनी संपत्ति ही तो समझा है।

Mamta malviya 'अनामिका'

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15 MAY 2020 AT 9:06

आवश्यक नही,
संसार मे जन्म देने वाली
सभी संताने
'प्रेम के प्रतीक' ही होती है।

कुछ सन्ताने
चुप्पी,मजबूरी और मात्र कर्तव्य
के भी प्रतीक होती है।

Mamta malviya 'अनामिका'

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15 MAY 2020 AT 7:30


ह्रदय पीड़ा का एहसास तो, मुझे जिंदगी के उस पड़ाव पर ही हो गया था।
जब 13 बरस की उम्र में ,मैं ऑपरेशन थिएटर में पड़ी -पड़ी दर्द से करार रही थी।
वास्तव में इसके पहले इतना भयाभव दृश्य मैंने कभी नही देखा था।
मेरी चीखें इतनी तेज थी,की मानो यही जीवन का अंतिम स्वर हो।
इसके पश्चात कुछ कहना, मानो शेष ही नही बचा था।
जैसी ही मेरे दर्द भरे स्वर आपके कानो तक पड़ते, आपके काँपते पैर
मेरी ऒर बढ़ते चले आते।
दरवाज़े से अंदर आने की चेष्टा करते हुए, मैने कई बार देखा आपको।

डॉक्टर के लाख मना करने पर भी, मुझे देखने के लिए जब आप ऑपरेशन थिएटर के अंदर आए।उस वक्त अश्रु से सराबोर आपकी आँखे देख, मेरे हृदय के सौ टुकड़े हो गए।
आपकी पीड़ा के सामने मेरे सारे दर्द ,मुझे क्षीण प्रतीत हुए।

एक पिता के लिए अपनी पुत्री को उस अवस्था मे देखना जितना पीड़ा दायक था,
उतना ही पीड़ादायक आपके अश्रु मेरे लिए।
उस वक्त आपकी आँखों मे आँसू देख कर ,मुझे जो दर्द हुआ ना,
वो दुनिया की किसी शारीरिक पीड़ा से नही होता।
उस वक्त सच मे मेरा दिल टूटा था।

Mamta malviya 'अनामिका'

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