Kuch log aage badh jaate hai,
Itna aage ki hum chaah kar bhi,
Kisi bhi speed se un tak nahi pahuch sakte.-
उन आंसु भरी पलकों को,
मेरे चेहरे से फेर लेना...
ये उनका अंदाज़–ए–बयां था,
इश्क को छुपाने का।।।
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उसके हाथों में, मेरा एक लम्हा था...
मेरे हाथों में, उसका ताउम्र इंतजार।-
वो जो मेरे हक़ में भी नहीं, मेरी आदत बन चुका है,
इतनी आसानी से नहीं टूटते दिल के रिश्ते, बता दो उसे...
वो मुझसे काफ़ी दूर निकल चुका है।
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छिड़े जो महफ़िल में बात हमारी
और तेरा ज़िक्र न हो...
ख़ुदा उस दिन कहर ढाएं
उस दिन की कोई रात न हो।
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ये बेनाम–सा रिश्ता
कुछ–कुछ चुभने लगा है,
ज़हर की तरह मेरी सांसों में चढ़ने लगा है,
ये खालीपन–सी जिंदगी मुझे अब रास नहीं आती...
मन मेरा सांसो से भी ऊंघने लगा है,
हां! ये बेनाम–सा रिश्ता
मुझे कुछ–कुछ चुभने लगा है।-
प्यार हर किसी को मिलता नहीं
और शायद इसलिए भी...
हर कोई प्यार करता नहीं।-
हां!
उस दिन उन्हें रोकना मेरे हाथ और हक़ दोनों में था,
पर उन्हें देखकर ये लगा ही नहीं की वो रुकना भी चाहते है।-