हम अक्सर स्त्रियों के प्रस्व पीड़ा की बात करते है,
मगर क्या प्रकृति के गर्भ को चीड़ते - फटते देखकर,
हमारे अंदर प्रश्न जन्म लेता है की,
क्या हम मानव रूप में जन्म लेने का अधिकार रखते है।।।-
कौन कहता है ढलते शाम के साथ,
सिर्फ इंतज़ार 'साथी' का होता है,
ढलते शाम के साथ,
उस 'शहर' से मिलना भी 'इश्क़' है,
-
देखी बेबाक सी हसीना,दिखी हसती खेलती मुझे,
ज्ञान से भरी,अपनी उम्र से भी ज्यादा रखे है अनुभव उसने
लोग कहानी शब्दों से कहते, वह तो अपने शब्दों को कहानी सा कहती है,
भीड़ में बैठे लोगो से मिलती है, सब से दुःख दर्द सा पूछती है,
शायद एहसास सा है उसको उन सब दर्द का,
सेहती सी होगी अपने अंतर्मन में शायद वह भी,
मन तो उसका भी परेशान सा होगा कुछ,
शायद इसलिए आज......
आज उसको खुद से लड़ते देखा, जूझती थी जो मन में,
आज वही दृश्य बाहर सा देखा,
वह मुस्कुराती रहेगी ऐसे ही,.....
मेरी बेबाक सी हसीना, हसती खेलती दिखेगी मुझे ऐसे ही........
❤❤❤-
अन्दर ही अन्दर एक लहर सा उठता है,
मेरा शहर अब मुझसे ही धीरे-धीरे छूटता है,
कितनी बातें याद आती है तेरी,
हर ग़म में तूने मुझे यूं बाहों में समेटा सा था,
खुशी के पलों में जी भर के झूमा सा था,
मेरा शहर अब मुझसे धीरे धीरे छूटता है,
तू दिल में ऐसे ही रह सा गया,
पहला प्यार था तू ही , आखिरी सा बन सा गया,
अन्दर ही अन्दर मुझको जोड़ता गया।
Luvv forever "Allahabad"n "Specially women hstle(anxee 3rd Priyadarshini)".-
बड़ा मुश्किल होता हैं, उस शख्स को गिराना,
जिसको ठोकरों ने चलना सिखाया हो।-
एक अनकहा सा ख्वाब है तू, दिल से निकले हर शब्द की पहचान है तू।
आँखो की नमी से होंठों की हसी, तक के राहो का राहगीर हैं तू ।
सब शामिल हैं तूझमे, सब हासिल है तूझसे।
चढ़ते दिन से होते गोधूलि की याद हैं तू।
ना हो तू तो वो हिम्मत नहीं मुझमे, हारते पलो में वो विश्वास ही नहीं मुझमे ।
सब हैं जिंदगी में तेरा होने से, ना होने से पहचान ही ना मुझे।
तू हैं तो सब हैं, ना है तो कुछ भी नहीं,
एक अनकहा सा ख्वाब है तू, मेरे जीवन का पूर्णविराम हैं तू।
-
भगवान से ज्यादा आप मित्र लगते,
मित्रों जैसे ही सकंट हरता भी हो आप।-
खंडहरो में भी निकले उस हरे तिनके की तरह,
तू काफी है ,आडंबर के महलो में उस पवित्र झरोखे़ की तरह।-
किसी को खोना या पाना इश्क़ नहीं,
किसी का ताउम्र हो जाना ,इश्क़ -ए-खासिय़त हैं।-
जिस दिन से तू रूठा हैं मुझसे,
मैं और मेरे अंतरमन में दवदं सा होता हैं,
मैं सही नहीं या तू गलत नहीं,
ये मेरा मन मुझसे मुकाबला सा करता हैं।-