Mamta Gehlot   (JLO Mamta Gehlot)
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Joined 24 June 2019


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10 SEP AT 21:34

अकेले थे अकेले है अकेले ही रहेंगे हम
जीवन में मोहब्बत को तरसते ही रहेंगे हम

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6 AUG AT 22:17

मुरादें जो अधूरी हों , वही सोने न देती हैं
ये भावी कल की चिंताएँ, सुकूं भी छीन लेती हैं
इसी से बस धरा धीरज, जो होगा देख लेंगे हम
नहीं अब फिक्र में कल की, करेंगे नैन अपने नम

हुए ज़ख्मी है इतने की, इन्हें सहना हुआ मुश्किल
ज़रा सा घाव कर देता, हमारी रूह को चोटिल
नज़र प्रतिपल उसे तकती, बने मरहम जो घावों पे
अकेले चल न सकती अब, चुनौती पूर्ण राहों पे

जो बोले बोल मीठे दो, उसे अपना समझ लेते
दिखाकर के दया झूठी, वो रस्ता क्यों बदल देते
बताए भेद है जिनको, मदद की आस में अक्सर
जताते व्यस्तता अपनी, सभी अनजान से बनकर

रहूं पीछे हंसे तब जग, बढ़ूं आगे जले तब जग
ये दुनिया मतलबी सारी, सजग रहना है अब पग पग
तरक्की देख औरों की, जो अपना जी जलाते है
तरक्की अपने जीवन में, कभी भी कर न पाते है

स्वयं से बात हूँ करती, स्वयं के साथ हूँ रहती
स्वयं का गीत हूँ गाती, स्वयं की धार में बहती
नहीं पूछे कभी कोई, कि कैसे जी रही ममता
जो छलकी आँख मेरी तो, कलम ने दर्द है समझा

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26 JUL AT 19:58

आप प्रेरणा स्रोत हमारे
सीख आपकी जग से तारे
जिससे रोशन जहां हमारा
आप अलौकिक वही सितारे

राहें तकते छलकी आंखें
सुध अपनी कैसे संभालें
आप गए क्यों हमें छोड़कर
आप बिना गमगीन बहारें

पूछ रहा है अब घर आंगन
कहां गए सूना कर दामन
दर दीवारें बोल पड़ी हैं
करें आपको शत शत वंदन

जितने दिन यह सांस चलेगी
आपकी कमी हमें खलेगी
आप न रहे हमारे सँग पर
याद हृदय मे सदा रहेगी

सरल आपका बीता जीवन
जपते राम राम मन ही मन
कभी न करते थे आडम्बर
करूँ आपको मैं नित वंदन

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23 JUL AT 7:54

1222 1222 1222 1222

भलाई कर बदी से डर, इसी ने साथ जाना है
इन्हीं कर्मों की खेती से, हमें सुख दुख को पाना है
दुआएं दे जगत सारा, करो वो काम जीवन में
है पाहुन चार दिन के सब, रहो मत व्यर्थ चिंतन में

मिले मौका अगर तुमको, हंसाना रोते चहरे को
खिलेगा मन तुम्हारा भी, खिली ग़मगीन नज़रे जो
मिला प्रभु की दया से है, ये तन मन और धन सारा
इसे हँसकर लुटाओ तुम, गरीबों की करो सेवा

चलो उस मार्ग पे हरदम, गुरूवर ने बताया जो
उजाला ज्ञान का कर के, भँवर से जग के तारे वो
समय बीते न कुछ ऐसे, की पछतावा हो मन ही मन
अभी भी वक्त है समझो, छुड़ाओ मोह के बंधन

बनेंगे काम बिगड़े सब , मधुरता गर है वाणी में
असंभव को बना संभव,लगाए आग पानी में
सहज रहना है इतना की, समझ पाओ सभी का मन
न आए काम औरों के, है फिर किस काम के यह तन

परख करती है रिश्तों की, मुसीबत जब भी आती है
समय अच्छा तो सब अच्छा, सबक यह भी सिखाती है
है पतझड़ आज गर ममता, बहारें कल को आएँगी
जो खुशियों के भरेंगी रँग, रुतें ऐसी भी छाएँगी

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18 JUL AT 20:48

सँग रह जो शुभचिंतक बनते
वार पीठ पर हैं वो करते
रखते जो चहरे पर चहरे
ऐसे लोगों से हैं डरते

व्यथित जो' औरों को करते हैं
सुखी न वो खुद भी रहते हैं
बुरा दूसरों का सोचें जो
कभी न आगे वो बढ़ते हैं

अपनों की खुशियों से जलते
अपने जिनको मन में खलते
रखते जो अपनों से ईर्ष्या
जन ऐसे भी कभी न फलते

विघ्न काम में जो है डाले
बने काम बिगाड़ने वाले
पाले बैर भाव जो मन में
उन रिश्तो से राम बचा ले

मिलजुलकर सबसे जो रहते
औरों पर उपकार हैं' करते
उनका सदैव मंगल होता
पर हित को जो आगे रखते

संकट में जो हाथ थामते
रिश्तो का जो मोल जानते
रहे जो' हँसते'- हँसाते सबको
ऐसा कुनबा सभी चाहते

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11 JUN AT 8:04

मुक्तक
तुम्ही से रूठ जाती हूँ, तुम्ही पे प्यार आता है
तुम्हारी याद का पहरा, मेरी धड़कन बढ़ाता है
हथेली देखकर मैं सोचती हूँ रात दिन इतना
मुहब्बत की लकीरें रब, कहाँ कैसे मिलाता है

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8 MAY AT 22:05

मुक्तक

सितम ढाकर सदा हम पर, कहो क्या खुश रहोगे तुम
यही बीते कभी तुम पर, कहो कैसे सहोगे तुम
दुआओं की बदौलत और अपनो के सहारे से
घुटन से हम निकल आए, कहो क्या अब कहोगे तुम

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8 MAY AT 21:56

मुक्तक

जो मुख पर थे बंद किए वो, दर न खुलेंगे अब
कुंठित ग्रीवा से अनुरक्ति के, सुर न लगेंगे अब
यहां लौट कर फिर आने का, तुम सोचो भी मत
हम सा बेशक मिल जाए पर, हम न मिलेंगे अब

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1 MAY AT 16:57

16 मात्रिक ग़ज़ल

बेखौफ मौत से रहता हूँ
जीवन से निसदिन लड़ता हूँ !!

नहा स्वेद में अपनी गति से
हो मस्त मगन मैं चलता हूँ

मुख की झुरियाँ बता रही हैं
कितने प्रयत्न मैं करता हूँ !!

मैले- कुचले कपड़े तन पे
मन में धीरज पर धरता हूँ

भागदौड़ में बीता जीवन
अनजान सुकूँ से रहता हूँ। !!

अपनों की खुशियों की खातिर
मैं हर दर्द झेल सकता हूँ

हिंसा, शोषण होता मुझ पर
फ़िर भी सब कुछ मैं सहता हूँ !!

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25 APR AT 9:36

छंद
मुरझाता मुस्कुराता, चैन कहीं भी न पाता
मन मेरा जानू न क्या, सोचे है क्या विचारे !!

अधीर हो हरपल, राह तके नैन मेरे
मिले कोई ऐसा मेरा, जीवन जो संवारे !!

आँखें मेरी पढ़ सके, ख़ामोशी समझ सके
उम्र भर जो साथ दे, दिल उसे पुकारे !!

कहीं न कहीं तो होगा, सपनो का वो बालम
आयेगा वो जब कभी, हसीं होंगे नजारे !!

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