Ab andhere ki saksiyat bhi
mujhe apne si lgne lgi h......
chup si sant si ho gyi hai....-
शिकायते तो मुझे बहुतों से करनी है पर
अब बस और गुस्ताख़ नही बनना किसी की नजरो में.....-
वैसे तो बाते नही होती
हमारी मुलाकाते नही होती
पर महसूस होता है
तुमसे बात हुई है तो जैसे
मुलाकात हो गई तुमसे-
खता तो तुमने भी की होगी कभी
फिर क्यों हर दफा इल्जाम मुझपर आता है
अरे ठीक है न करती हूं मैं मन का
पर मैने बंदिसे तुम भी कभी लगाई है क्या
चाहती हू तुम्हे बस इतना याद रखो
बाकी गलतियां भूल जाओ और दिल साफ़ रखो।-
बहुत सुन्दर नजारा है
कुदरत का इशारा है
वो बोली नही पर कह रही कि
वक्त हमारा है जनाब वक्त हमारा है
किसी से कुछ लेते हो तो
लौटाना भी तो होता है
पर लोगो की खता देखो
प्राकृति को अपना समझ बैठे हैं-
बहुत सुकून देता है वो यादों का मंजर
जिसमे तुमसे मुलाकात हुई न थी हमारी।-
वो यादों का मंजर भी बड़ा आजीब है
वहां जाएं बगैर ही पूरी यादों को जी लेते है-
जिनकी परवाह ज्यादा करो न
न जाने क्या हो जाता है.....
तुम्हारी परवाह ही नही रहती उनको।-
मैं दूर हु सबसे
दूर ही रहने दो
खुद में मुझे ऐसे
ही मासगुल रहने दो
वाकिफ हूं मैं
सबके रवैए से
मुझे इस अपने पराए
के खेल में दूर ही रहने दो
मेरी मुस्कान मुझे याद रखनी है
बसरते मुझे मुझमें ही रहने दो
मालूम है मुझे ये दुनिया सर्तो में जीती है
बहुत लेके कुछ ही देती हैं
चाहूं तो बोल दू सबको पर
बन रही है जैसे तैसे रिश्ता सभी से
अब इन सब विवादो से दूर ही रहने दो
मुझे मुझमें ही रहने दो...-
तुम मेरे दोस्त हो तुम मेरे हमराही हो
सुरु कहानी तुम पर करके
अंत करू तुम्ही पर मैं,
सारी बातें तुम्हे पता है
तुम कविता और उसकी मात्राए मै,
डायरी हो तुम और कलम मै
जैसे सखा हो तुम मेरी जिंदगानी में।-