Mallika Rajput   (Malika Rajput Shinde)
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Author, Gazal writer
Joined 8 September 2018


Author, Gazal writer
Joined 8 September 2018
2 FEB AT 15:17

ज़मीन अपनी अगर तलाशो, फ़लक तुम्हें ख़ुद-ब-ख़ुद मिलेगा !!
जो सोच रखा है तुमने दिल में , अंजाम वो हू-ब-हू मिलेगा ।।

न ज़ोर देना न ज़िद ही करना, यही मोहब्बत की दास्ताँ है,
वफ़ा करें या करें जफ़ाएँ, उनका हक़ है उन्हें पता है !!
ये दिल तुम्हारा धड़क रहा है, उन्हीं की ख़ातिर समझ रही हूँ,
मगर तुम्हें ये समझना होगा, कठिन ये उल्फ़त का रास्ता है ।।

दुआ में अपनी बसाए रखना, उन्हें हमेशा यक़ीन करके, कि वो तुम्हें रू-ब-रू मिलेगा !!
जो सोच रखा है तुमने दिल में , अंजाम वो हू-ब-हू मिलेगा ।।

दौर-ये-मुश्किल आसान होगी, ख़ुदा पे अपने भरोसा रखना,
वो लौट आएगा फिर से इक दिन, उम्मीद रखना ख़ामोश रहना !!
पुकार ख़ाली नहीं रहेगी अगर तुम्हारे दिल से निकली ,
खिलेंगी कलियाँ भी मुस्कुरा कर,उम्मीदे गुलशन सजाये रहना ।।

तुम्हें ख़बर क्या है उनकी आँखों में जाके देखो, पाकीज़गी का लहू मिलेगा !!
जो सोच रखा है तुमने दिल में , अंजाम वो हू-ब-हू मिलेगा ।।

असर दुआ में ज़रूर होगा, अगर सदाक़त रही दुआ में ,
तुम तलक चल के आएगा वो, अगर मोहब्बत रही ख़ुदा से!!
ये इश्क़ हारा कभी नहीं, तय जीतने का नाम वफ़ा है ,
अपनी उलफ़्त निभाते रहना, डरो नहीं कुछ पल की जफ़ा से।।

अपनी हसरत मिटा ही देना, एक वक़्त आएगा ज़िंदगी तुम्हें वो आ ख़ुद-ब-ख़ुद मिलेगा !!
ज़मीन अपनी अगर तलाशो, फ़लक तुम्हें ख़ुद-ब-ख़ुद मिलेगा !!
जो सोच रखा है तुमने दिल में , अंजाम वो हू-ब-हू मिलेगा ।।

मलिका राजपूत
२४/जून/२०२३

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2 FEB AT 12:06

मोहब्बत से भरी लौ सीने में जलाये रखिए !
राह लंबी है उन्हें आँखों में बसाए रखिए ॥

चार दिन की ज़िंदगी हो या सदी भर जी सको,
आप अपनी आरज़ू को हो सके तौला करो !
कुछ भी ख़ुदा ने कम तुम्हें देकर यहाँ भेजा नहीं,
शिकवा गिला क्यों कर करो, शुक्रिया बोला करो ॥

तुमको अपना दर्द भारी है मुझे मालूम है,
देखिए औरों का ग़म अपना भुलाए रखिए ॥

मोहब्बत से भरी लौ सीने में जलाये रखिए !
राह लंबी है उन्हें आँखों में बसाए रखिए ॥

जब तलक ये साँस हैं, उलझन से समझौता करो,
और भी टूटे हुए दिल हैं दुआयें दीजिए !
कोई चोट दिल को दे गया तो माफ़ करते जाइए ,
ये दिल ख़ुदा का है महल इसे साफ़ करते जाइए ।।

हो जहन्नुम या कि जन्नत ख़ुद को ख़ुश रखा करो,
यक़ीन से दिल की ये दुनिया सजाए रखिए !

मोहब्बत से भरी लौ सीने में जलाये रखिए !
राह लंबी है उन्हें आँखों में बसाए रखिए ॥

१२/४/२०२३

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1 FEB AT 20:43

नफ़रत में ना जीयो तुम, ना अफ़सोस में मरूँ मैं,
तुम जैसा कह दो जाना वैसा ही अब करूँ मैं।।

ग़र दिल से माफ़ करना मुश्किल ही हो रहा है,
मुझे फिर से प्यार करना गर हो नहीं सकेगा !!
फिर से गले लगाकर अपना ना कर सको तो,
बोलो, कब तक ये दिल उम्मीदें तुमसे भला करेगा ।।
तुम्हें छोड़ के तो जीना मुमकिन नहीं है मेरा,
पल पल की जुदाई से कब तक कहो डरूँ मैं।।

नफ़रत में ना जीयो तुम, ना अफ़सोस में मरूँ मैं,
तुम जैसा कह दो जाना वैसा ही अब करूँ मैं।

दिल का ज़हर तुम्हारे तुमको ही ख़ल रहा है,
मैं चाहती नहीं अब तुम्हें और ऐसा देखूँ !!
बेहतर है तेरे दर से मैं ख़ाली हाथ जाऊँ,
तुम भी और सोचो और मैं भी और सोचूँ ।।
नम हो गयी हैं, आँखें दिल रो रहा है मेरा ,
होगा यही सही अब तुमको छोड़ दूँ मैं !!

नफ़रत में ना जीयो तुम, ना अफ़सोस में मरूँ मैं,
तुम जैसा कह दो जाना वैसा ही अब करूँ मैं।

मलिका राजपूत
९ जुलाई २०२०

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1 FEB AT 11:29

ये तनहा शाम ये बादल ये राहें, और बरसता पानी,
सही मौक़ा है बह जाने दो, गम-ए-दिल आज अश्कों में ।।
जो वादा करके, ना आये उसे क्या बेवफ़ा कहना,
है बारिश तेज धुल जाने दो दिल का दाग अश्कों में ।।

गिला शिकवा मोहब्बत में किया तो क्या मोहब्बत की,
दुआ ना अर्श तक पहुँची तो आख़िर क्या इबादत की !!
ख़ुदा जाने लिखा है क्या चाहत के मुक़द्दर में,
ये उल्फ़त मर ही जाएगी ज़रा सी गर शिकायत की ।।

मेरी हर आह छुप जाएगी इन बारिश की बूँदों में ,
तसल्ली से करूँगी दफ़्न सारा राज अश्कों में ।।

अगर इस ज़िंदगी की आख़िरी मंज़िल उन्हीं से हो ,
ये साँसें और सीने में धड़कता दिल उन्हीं से हो !!
ना उनपे कर सको गर, तुम ख़ुदी पर तो यक़ीं करना,
ख़बर क्या कि तुम्हें सारा जहां हासिल उन्हीं से हो ।।

मैं ख़ुश हूँ जाने क्यों और जाने क्यों अफ़सोस करती हूँ,
दबी जाती है उल्फ़त से भरी आवाज़ अश्कों में ।।

खनकती चूड़ियों के संग ये आँखें राह तकती हैं,
कोई आहट सुने पायल तेरी जानिब निकलती है !!
ज़रा सी एक झलक तेरी मिले मिन्नत ख़ुदा से की,
तू आएगा मेरी हर आह मुझसे कहती रहती है ।।

इस बरस का ये सावन कह रहा है मेरे कानों में,
बहे जो अश्क़ आँखों से तो हो अन्दाज अश्कों में ।।

मलिका राजपूत
२६/जुलाई/२०२३




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23 APR 2023 AT 15:14

दिल ये कहता है भूल जाऊँ उन्हें ,
बात कैसे मैं ये बताऊँ उन्हें !!
या ख़ुदा कुछ तो रहम कर मुझपर,
ये तड़प किस तरह समझाऊँ उन्हें ॥

साँस लेना तो भूल सकती हूँ, दिल ये नादाँ से हार जाती हूँ,
है ये मालूम वो ना आयेंगे, सब्र मेरा वो आज़माएँगे, फिर चली उनके द्वार जाती हूँ !!

कोई हरकत हो लगे वो आए,
किस तरह धड़कन ये मैं सुनाऊँ उन्हें !
या ख़ुदा कुछ तो रहम कर मुझपर,
ये तड़प किस तरह समझाऊँ उन्हें ॥

अब भरोसे पे भरोसा ना रहा, आँख सुखी थी दिल ये रोता रहा,
कशमकश जान को सताती रही, जाने क्या मेरे साथ होता रहा !

राह तकती हैं ये निगाहें मगर,
मिटती उम्मीद बता कैसे उन्हें सताऊँ मैं!!
या ख़ुदा कुछ तो रहम कर मुझपर,
ये तड़प किस तरह समझाऊँ उन्हें ॥

एक एक पल की आरज़ू की क़सम, धड़कनें पड़ने लगी है मध्धम,
दिल की रफ़्तार थमी जाती है , साँसें सीने में बची हैं कुछ कम,

ये मेरा गम है मेरे साथ लिए जाऊँगी,
इससे कैसे भला बचाऊँ उन्हें,
या ख़ुदा कुछ तो रहम कर मुझपर,
ये तड़प किस तरह समझाऊँ उन्हें ॥
दिल ये कहता है भूल जाऊँ उन्हें ,
बात कैसे मैं ये बताऊँ उन्हें !!

मलिका राजपूत
२३/४/२०२३

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22 APR 2023 AT 0:46

जय हिन्द से बढ़कर दुआ नहीं ,जय हिन्द से बड़ा सलाम नहीं !
माटी मेरी मेरा जीवन है माटी से बड़ा कोई नाम नहीं !!

भारत की धरती ने मुझको गोदी में पाला है सुन लो,
इस देश की गरिमा को समझो ये देश निराला है सुन लो!
बाण धनुष फरसे वाले को जान रहे हैं हम सारे ,
गोवंश में जन्मा एक अनोखा वंशीवाला है सुन लो !!

हम साथ तिरंगा लहराते हैं शीश उठाकर गौरव है,
भारत से बढ़कर दुनिया किसका भी कोई मुक़ाम नहीं !

जय हिन्द से बढ़कर दुआ नहीं ,जय हिन्द से बड़ा सलाम नहीं !
माटी मेरी मेरा जीवन माटी से बड़ा कोई नाम नहीं !!

बिस्मिल्लाह की शहनाई सुन कर गंगा भी नाच उठे,
प्रेम के हल्के से गुंजन पर सारा अंबर इतराये,
तानसेन की तानों पर मेघ झूम कर बरसे थे,
महावीर कुछ भी ना कहें बुद्ध मन ही मन मुस्कायें ॥

प्यार नहीं माटी से तुम्हें तो प्यार तुम्हारा झूठा है,
दिल नहीं तुम्हारा पत्तथर है गर भारत का सम्मान नहीं!

जय हिन्द से बढ़कर दुआ नहीं ,जय हिन्द से बड़ा सलाम नहीं !
माटी मेरी मेरा जीवन माटी से बड़ा कोई नाम नहीं !!

मलिका राजपूत
१५/८/२०२२

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2 DEC 2022 AT 12:14

Ravish Kumar

Lyrisist -
Malika Rajput

छोड़ गए ऐन डी टी वी पर हमें छोड़िएगा कभी नहीं ,
दिल धड़क रहा है तेज मेरा रोयी आँख जो रोयी कभी नहीं !

हमें डराया गया बहुत , आप थे तो हम डरे नहीं,
हमें दबाया गया बहुत , आपके दम पर दबे नहीं!
हमें फिर से डराया जाएगा, फिर कुचला दबाया जाएगा ,
आप अगर कर देंगे अकेला, हमें जान से मारा जाएगा !
रवीश आपकी सच की ताक़त के साथ सदा थे और रहेंगे
कलम उठेगी जब भी जब लब खोलेंगे सत्य कहेंगे !

दिल धड़क रहा है तेज मेरा रोयी आँख जो रोयी कभी नहीं !

आप जहां भी खड़े हुए, हम पीछे खड़े मिल जाएँगे ,
लोकतंत्र ना मिटने देंगे मिट्टी में मिल जाएँगे !
मतदाता हम एक ही दिन के फिर जनता बन जाएँगे ,
वसुंधरा भारत को दिया है वचन सदा निभाएँगे!
वो तलवार उठा लें, गोली मारें, चाहें थार से कुचल भला दें,
क़सम कलम की देश की ख़ातिर केवल कलम उठायेंगे!

जुमले बाज़ी करने वाले बाँट हमें ना पाएँगे ,
आप रहेंगे साथ यक़ीं है हम भी आवाज़ उठाएँगे !

छोड़ गए ऐन डी टी वी पर हमें छोड़िएगा कभी नहीं ,
दिल धड़क रहा है तेज मेरा रोयी आँख जो रोयी कभी नहीं !

मलिका राजपूत
२ दिसम्बर २०२२

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21 APR 2022 AT 21:00

जिनके घर गिरा डाले , जिनकी दुकाँ जला डाली !
जिनकी रोजी रोटी पर तुमने अधिकार जमाया है ,
मत भूलो उन सबने तुम्हें सरकार बनाया है !!

नाम कोई भी को लेकिन,
मालिक तो सबका एक है !
उसकी रक्षा में है वो, जिस
जिस की नीयत नेक है !
उसने अपनी ताक़त को हर बार दिखाया है, धर्म सनातन ने हम सबको प्रेम सिखाया है !!
मत भूलो उन सबने तुम्हें सरकार बनाया है !!

सबसे पहले नाम राम का लेकर ,
उठते हैं !
राम नाम की महिमा को रोज ही,
जपते हैं !
लेकर के वनवास राम ने करके दिखाया है !
वो ही अजर अमर है जिसने वचन निभाया है !
मत भूलो उन सबने तुम्हें सरकार बनाया है !!

नाम ख़ुदा का लेते जाने क्या सीखा,
मदरसे में !
अब तक ना जान सके अल्लाह को,
जाने कितने अरसे में !
नेक बनो उस रन ने तुम्हें बस यही सिखाया है !
मंसूर को मार दिया सुकरात को ज़हर पिलाया है !
मत भूलो उन सबने तुम्हें सरकार बनाया है !!

मलिका राजपूत
२१ एप्रिल २०२२

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5 APR 2022 AT 14:27

कोई बहाना बना लो, कोई तो बात करो !!
मैं इंतज़ार कर रही हूँ मुलाक़ात करो ॥॥
कोई बहाना बना लो कोई तो बात करो ।।

दिन ये ढलता है शाम रात में बदलती है,
एक तेरी याद में ये साँस तेज चलती है !
लग रहा है के ज़िंदगी भी ढल गयी है मेरी,
धड़कनें थमती हैं, थम थम के चला करती हैं ॥
एक सदी से तेरी यादों के सिवा कुछ ना मिला,
नज़र घुमाओ ज़रा मिलके मेरे साथ चलो!!

कोई बहाना बना लो कोई तो बात करो ।।

मेरे ख़्वाबों को ख़यालों को छल गए हो तुम,
या तो बदले हुए हैं हम या बदल गए हो तुम !!
मेरी साँसों में रहा करते हो सिहरन की तरह,
दूर मुझसे अय मेरी जाँ निकल गए हो तुम॥

मौत आनी है मुझे तय है तेरी बाहों में ,
मुझे उम्मीद है कुछ वक्त मेरे पास रहो॥

कोई बहाना बना लो कोई तो बात करो ॥

देखो मुरझा ही गया दिल तुम्हें नहीं पाकर ,
इसे खिला दो मेरी जान मेरे पास आकर !!
मुझे तकलीफ़ की दुनिया से निकालो दिलबर,
फिर खो जाना मेरी जान मुझे दफ़नाकर ॥

हर सुबह शाम बनेगी ये हक़ीक़त है मगर,
होगी तन्हाई पशेमाँ जो मुझे याद करो !!

कोई बहाना बना लो कोई तो बात करो ।।

मलिका राजपूत
५ एप्रिल २०२२

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1 MAR 2022 AT 7:30

अपनी मजबूरियों का बोझ उठा लेते हैं,
हम तेरी याद में यूँ अश्क़ बहा लेते हैं!
ज्यों गुलाबों को बिखरना है ख़िजा आते ही,
दिल के बिखरे हुए टुकड़ों को सजा लेते हैं ।।

आज दिल है कि पुकारे तु हमें एक पल को,
क्या ख़बर सुन ना सके दिल तेरी पुकार कभी !
तेरी दुनिया से चले जाने को तैयार हैं हम,
रोक ले मिल सके शायद मुझे क़रार अभी !!
बेवजह बात बढ़ा कर के कुछ नहीं होगा,
बस यही सोच के हर बात छुपा लेते हैं ॥॥

अपनी मजबूरियों का बोझ उठा लेते हैं,
हम तेरी याद में यूँ अश्क़ बहा लेते हैं!

आजकल दिल की उदासी का सबब मत पूछो,
हम ना कह पाएँगे और तुम भी ना सुन पाओगे !
एक वीराना है हम दोनों के ही चारों तरफ़,
तनहा हम जी नहीं सकते ना तुम रह पाओगे !
है अंधेरा ये घना जान फँसी मुश्किल में,
होके हैरान बहुत दिल ये जला लेते हैं !

अपनी मजबूरियों का बोझ उठा लेते हैं,
हम तेरी याद में यूँ अश्क़ बहा लेते हैं!

मेरे महबूब मुझे दिल से निकालो जो कभी,
याद रखना कि तेरी रूह में बसते हैं हम !
अपनी ख़ुशियों का मुझे माही मेरे ध्यान नहीं,
तू जो ख़ुश तो अकेले में भी हँसते हैं हम !
हमको मालूम है वो पल ना कभी लौटेंगे,
जाके माज़ी से हंसी याद चुरा लेते हैं ।।

अपनी मजबूरियों का बोझ उठा लेते हैं,
हम तेरी याद में यूँ अश्क़ बहा लेते हैं!

मलिका राजपूत
१ मार्च २०२२

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