Majida Khan   (Maju writes)
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Joined 12 May 2020


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Joined 12 May 2020
24 JAN AT 23:22

वो लफ्ज़ नहीं
जो बयां कर सकें गम मेरा।

वो अश्क नहीं
जो बहा सकें गुबार दिल का।

मुस्कुरा रहे हैं सोचकर
क्यूं बहाएं आंसू गैरों के सामने
यहां है कौन सगा मेरा।

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31 DEC 2023 AT 22:40

सीख कुछ नई और कुछ सबक 
वही पुराने दोहरा कर।

बीत गया एक साल‌ और।

कुछ गैरों को अपना कर
तो कुछ अपनों को पराया कर।

बीत गया एक साल और।

भूलकर गिले-शिकवे पूराने
मुबारक हो आपको 
एक नया साल‌ और।


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19 NOV 2023 AT 20:13

मेरी हर बाधा के सामने डट जाते हैं
सीख मुझे हरदम नई सिखाते हैं।

जो में हारूं तो हिम्मत मेरी बढ़ाते हैं।

जो में बस कर लूं शिखर पर
तो आसमान मुझे दिखाते हैं।

तुमसे न हो पाएगा के शोरगुल में।

तुमसे ही हो पाएगा कहकर
मेरे पापा मेरा मान बढ़ाते हैं।

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19 NOV 2023 AT 20:11

घनी धूप है सारा जहां
तो वो ठंडी छांव है।

सर्द रात है सारा जहां
तो‌ वो गर्म अलाव‌ है।

पानी का दरिया है सारा जहां
तो‌ वो जज़ीरा है।

तेज हवाएं हैं सारा जहां
तो वो‌ मजबूत चारदीवारी है।

ज़ालिम समाज है सारा जहां
तो वो एक शख्स सबपे भारी है।

ले आओ फौज तुम दुनियाभर की
मेरे सर पर मेरे पिता का हाथ काफी है।

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8 OCT 2023 AT 13:35

कि हर बात में
उसकी बात होती है।

वो मुस्कुराए तो हसीं ये दिन
और रुठ जाए तो बेचैन रात होती है।

कि लफ़्ज़ों से बताना जरूरी है नाम उसका
जब मेरी आंखों में उसकी झलक होती है।

न जाने कब आएगी घड़ी मिलन की
इसी इंतजार में सुबह और शाम होती है।

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26 SEP 2023 AT 15:08

ये लफ़्ज़ों की मोहब्बत तो
दो दिन की कहानी है।

तू मिल जाए अगर
तो हसीं ये जिंदगानी है।

न मिला तो फिर भी
जिंदगी गुजर ही जानी है।





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25 JUL 2023 AT 10:15

दूर कोई बैठा मुस्कुरा रहा था
न जाने क्यूं मुझे बहुत लुभा रहा था।

ख्वाब हसीन दिखा रहा था
मुद्दतों बाद सोई हुई
मोहब्बत को जगा रहा था।

चंद लम्हे के लिए ही सही
नावाकिफ हकीकत से
वो ख्वाब बड़ा सुहाना था।

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25 JUN 2023 AT 11:23

सूर्य से पहले उठ जाना जीत नहीं
शाम ढले तक डटे रहना विजय है।

जब कर लिया है पक्का इरादा
तो डर क्यूं पराजय का है।

नहीं कोई लक्ष्य मुश्किल
कमी तेरे परिश्रम में है।

हार जीत तो हिस्सा है जीवन का
फिर कैसा भय है।

निरंतर कार्य ही तो कुंजी है
अटूट विश्वास असल पूंजी है।

सूर्य से पहले उठ जाना जीत नहीं
शाम ढले तक डटे रहना विजय है।

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27 MAY 2023 AT 20:08

अपना ग़म हर किसी को‌ बताएं जरूरी नहीं होता
हर बार किसी का जाना‌ मजबूरी नहीं होता।




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20 MAY 2023 AT 12:42

क्यूं तू अपना सा लगता है
साथ तेरा सपना सा लगता है।

जो तू हो जाए ओझल तो
चलती सांस भी मरना सा लगता है।

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